दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ राज्य सरकार द्वारा अतिथि अध्यापकों की सर्विस बुक बनाने और उन्हें पहचान (आइडी) नंबर जारी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस संबंध में सोमवार को दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा 1 सितंबर को जारी उस आदेश को रद करने की मांग की है, जिसके तहत शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा एवं मौलिक शिक्षा अधिकारियों को परिपत्र भेजकर अतिथि अध्यापकों का डाटा बेस निदेशालय में भेजने का निर्देश दिया है। इसके तहत शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारियों व अध्यापकों की तरह अतिथि अध्यापकों को भी कंप्यूटर सिस्टम के जरिये आइडी नंबर जारी किए जाएंगे। अंबाला निवासी तिलकराज ने अपने वकील जगबीर मलिक के माध्यम से दायर याचिका में सरकार के इस आदेश को हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत बताया है। याचिकाकर्ता के अनुसार हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 30 मार्च 2010 को दिए फैसले में यह स्पष्ट कर दिया था कि 31 मार्च 2012 के बाद किसी भी कीमत पर अतिथि अध्यापक का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इस मामले में प्रदेश सरकार द्वारा भी कोर्ट में एक शपथ पत्र जारी कर 31 दिसंबर 2011 तक नियमित भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आश्वासन दिया गया था। याचिकाकर्ता के अनुसार दिसंबर नजदीक है, लेकिन कुछ दिन पहले ही अतिथि अध्यापकों के मानदेय में बढ़ोतरी कर अतिथि अध्यापकों को आइडी नंबर जारी करने और सर्विस बुक बनाने का फैसला सरकार की नीयत में खोट स्पष्ट कर रहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार जब अदालत द्वारा तय सीमा नजदीक है तो ऐसे समय में गेस्ट टीचर को नियमित टीचर की तरह लाभ, आइडी नंबर व सर्विस बुक जारी करने का क्या औचित्य है। याचिका में कहा गया कि सरकार इस मामले में समय समय पर कोर्ट में दिए गए अपने आश्वासन से बदलती रहती है। उनके अनुसार कुछ दिन पहले गेस्ट टीचर को लाभ देने के उदेश्य से ही सरकार ने अध्यापक पात्रता परीक्षा की तिथि में भी बदलाव किया। सरकार को यह परीक्षा समय पर कराने के लिए चुनाव आयोग ने इजाजत भी दे दी थी लेकिन जान बूझकर यह परीक्षा टाली गई है, ताकि नियमित भर्ती में देरी हो और अतिथि अध्यापकों को और समय तक रखा जा सके। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम कुमार की खंडपीठ इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करेगी।