चंडीगढ़, जासं : पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा सरकार द्वारा विकलांग कोटे के तहत आरक्षण देने के लिए अपनाई गई नीति पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यह आदेश दिनेश कुमार भाटिया नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। याचिकाकर्ता ने वकील इंद्रपाल गोयत के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया था कि नौकरियों में विकलांगों को आरक्षण देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा अपनाया जा रहा पैमाना कानूनन गलत है। बहस के दौरान अदालत में बताया गया कि नियम के अनुसार किसी भी तरह का आरक्षण तीन श्रेणी में होता है पहला जनरल, दूसरा ओबीसी व तीसरा एससी व एसटी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच एक मामले में स्पष्ट भी कर चुकी है और इस संबंध में निर्णय भी दे चुकी है। याचिका के वकील ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर 1997 को नियम के विपरीत जनरल, ओबीसी व एससी/एसटी वर्ग के अलावा एक अलग श्रेणी विकलांग को शामिल कर उसमें सीट आरक्षित करने का नियम शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व कानून के अनुसार अगर किसी विकलांग को आरक्षण का लाभ देना है तो उसे उस कोटे में आरक्षण दिया जाएगा जिस वर्ग से वह संबंधित है।