Thursday 10 November 2011

झारखंड के 172 अफसरों पर बर्खास्तगी की तलवार लटकी

जागरण संवाददाता, रांची झारखंड लोक सेवा आयोग की द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 2007 में अफसर बने 172 लोगों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। हाईकोर्ट ने परीक्षा में धांधली के खुलासे और जांच के बाद बर्खास्त हुए अफसरों की याचिकाओं पर प्रदेश सरकार एवं राज्य लोक सेवा आयोग को चयनित सभी अफसरों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही सरकार से पूछा है कि क्यों न पूरी परीक्षा और चयनित सभी अफसरों को बर्खास्त कर दिया जाए? मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया और न्यायमूर्ति जया राय की खंडपीठ ने मंगलवार को बर्खास्त अफसरों मुकेश कुमार महतो, राधा प्रेम किशोर एवं रवि कुमार कुजूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया कि वह 15 दिनों के भीतर परीक्षा में चयनित सभी अफसरों को नोटिस जारी करे, जो वर्तमान में डीएसपी, बीडीओ, सीओ, सेल्स टैक्स अफसर, डीएसई आदि के पद पर तैनात हैं। खंडपीठ ने कहा, किसी भी सूरत में गलत तरीके से नियुक्त लोगों को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। निगरानी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ की गई थी। यहां तक कि मौखिक साक्षात्कार के अंक में भी हेरफेर के पर्याप्त प्रमाण हैं। अदालत का मानना है कि अफसरों की नियुक्ति में पैरवी, पैसे और भाई-भतीजाववाद के बल पर व्यापक पैमाने पर धांधली की गई। निगरानी ब्यूरो की जांच में सभी चयनित अधिकारी दोषी पाए गए थे, पर सिर्फ 19 अफसरों पर कार्रवाई हुई। इससे ऐसा लगता है कि दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में क्यों न पूरी परीक्षा को निरस्त कर सभी 172 अफसरों को बर्खास्त कर दिया जाए?। खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश पर भी रोक लगा दी, जिसमें याचियों की बर्खास्तगी निरस्त करने की बात कही गई थी। यह अलग बात है कि इन अफसरों को आज तक नियुक्ति नहीं मिली। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने लोकसेवा आयोग द्वारा 2007 में कराई गई परीक्षा में धांधली की शिकायत के निगरानी ब्यूरो से मामले की जांच कराई थी। ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर ही शासन ने 19 अफसरों को बर्खास्त कर दिया था। तीनों याचिकाकर्ता भी इन्हीं अफसरों में शामिल हैं।
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