चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती के बीच अतिथि अध्यापक उन्हें नियमित करने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर, पात्र अध्यापकों ने अतिथि अध्यापकों को हटाए जाने की शर्त पर नियमित भर्ती तक मुफ्त सेवाएं देने की पेशकश की है। राज्य सरकार इस पूरे मामले में कूटनीति से काम ले रही है। प्रदेश में करीब 30 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एक अनुपात 30 के आधार पर यह पद 50 हजार से ज्यादा बनते हैं। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तावेज प्रस्तुत कर कहा है कि राज्य में 322 दिन के शेड्यूल के आधार पर नियमित भर्ती की जाएगी। प्रदेश में इस समय 15 हजार 485 अतिथि अध्यापक हैं। हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के अध्यक्ष अरुण मलिक ने पात्र अध्यापकों के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अतिथि अध्यापक पहले से काम कर रहे हैं। इसलिए उनको नियमित किया जाए। दूसरी तरफ, पात्र अध्यापक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का कहना है कि पिछले साल 30 मार्च 2011 को हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि एक साल के भीतर अतिथि अध्यापकों को हटाया जाए, क्योंकि उनकी नियुक्ति पिछले दरवाजे से हुई है। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। राजेंद्र शर्मा ने कहा कि सवा लाख पात्र अध्यापक स्कूलों में मुफ्त में भी पढ़ाने को तैयार है बशर्ते राज्य सरकार अतिथि अध्यापकों को हटाए। शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन का कहना है कि राज्य में नियमित भर्ती के लिए सरकार कटिबद्ध है। उन्होंने माना कि सुप्रीम कोर्ट ने नियमित भर्ती के लिए राज्य सरकार को समयबद्ध सीमा में बांधा है। उनका कहना है कि नियमित भर्ती के समय सीमा के अनुरूप कार्य किया जाएगा।