Thursday, 10 November 2011

सुप्रीम कोर्ट ने तय किए जनजातियों के मानक

नई दिल्ली, एजेंसी : कोई व्यक्ति आदिवासी है या नहीं इसके निर्धारण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नए मापदंड निर्धारित किए हैं। डीके जैन और एके गांगुली की पीठ ने मंगलवार को फैसले में कहा कि अनुसूचित जनजाति का फायदा उठाने के लिए दस्तावेज के अलावा मानविकीय और नस्लीय विशिष्टताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। पीठ के अनुसार नौकरी और शिक्षा के लिए आरक्षण का लाभ देने से पहले कोई व्यक्ति आदिवासी है या नहीं इसके निर्धारण के लिए स्वतंत्रता पूर्व जारी दस्तावेज को ज्यादा तरजीह देनी चाहिए। अदालत ने यह फैसला महाराष्ट्र के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में प्रोबेशनरी फील्ड ऑफिसर आनंद की अपील को स्वीकार करते हुए दी। गौरतलब है कि आनंद ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाई थी, जिसमें उन्हें आदिवासी न होने के आधार पर उनकी नियुक्ति को रद कर दिया गया। आनंद की 16 मार्च 1998 में नियुक्ति के बाद राज्य सरकार ने उन्हें नौकरी से हटाने का नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि निगरानी सेल की जांच में यह पाया गया है कि आनंद मूल हलबी (अनुसूचित जनजाति) नहीं हैं।
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