हरियाणा में अध्यापक पात्रता परीक्षा इस बार किसी महाकुंभ से कम नहीं लग रही। साढ़े चार लाख से अधिक अभ्यर्थी 602 केंद्रों पर विभिन्न चरणों में परीक्षा देने को तैयार हैं और साथ ही हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, पुलिस व स्थानीय प्रशासन की कड़ी परीक्षा की घड़ी आ चुकी है। परीक्षा का सुचारू व दोष रहित संचालन बड़ी चुनौती है। कई प्रश्न भी परीक्षा के साथ जुड़ गए। क्या दो दिन राज्य परिवहन सेवा परीक्षार्थियों के हवाले रहेंगी? हर डिपो से 50 से 60 बसें परीक्षा केंद्रों तक जाएंगी। ग्रामीण रूट किसके सहारे टिकेंगे? दो दिन राज्य में समानांतर परिवहन माफिया किस हद तक विभाग की धज्जियां उड़ा सकता है? 5 नवंबर को तो 97 हजार अभ्यर्थी हैं लेकिन अगले दिन क्या होगा जब साढ़े तीन लाख से अधिक परीक्षा में शरीक होंगे। रोडवेज बसों की एडवांस बुकिंग तक हो चुकी। निजी वाहन मालिकों ने स्वयं के रूट घोषित कर दिए। 14 जिलों में मध्यम दर्जे के होटलों की बुकिंग हो चुकी। कारण स्पष्ट है कि महिला अभ्यर्थी के साथ उसका कम से कम एक परिजन अवश्य होगा। कम से कम सात लाख लोग एक से दूसरे शहर में जाएंगे। आशंका यह है कि परीक्षा केंद्रों पर अराजकता, सड़कों पर अव्यवस्था और अभ्यर्थियों में अफरा-तफरी न पैदा हो जाए। परीक्षा संचालन में पुलिस से भी मदद मांगी गई है। इससे स्पष्ट है कि प्रशासन के हाथ-पांव फूले हैं। प्रश्न यह भी है कि अभ्यर्थियों की संख्या पिछले वर्षो के मुकाबले तीन गुणा कैसे बढ़ गई? मान लीजिए दो दिन यातायात विभाग के अधिकारी निजी वाहनों के धड़ाधड़ चालान काटने लगे तो वो अच्छे लगेंगे या बुरे? क्या होगा उन अभ्यर्थियों का जो परीक्षा से वंचित रह जाएंगे? पिछले वर्षो में हुई पात्रता परीक्षा के परिणाम आज तक घोषित नहीं हो पाए। मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। कई अभ्यर्थी तो तीसरी बार भाग्य आजमा रहे हैं। उस स्थिति में क्या होगा जब इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण अभ्यर्थी अदालत का फैसला आने के बाद पिछली परीक्षा में सफल घोषित हो जाए? बेहतर होता परीक्षा को कई चरणों में लिया जाता। परीक्षा निर्बाध तरीके से हो, परिवहन सेवाएं अवरुद्ध न हों, कानून-व्यवस्था के सामने गंभीर चुनौती न खड़ी हो, एचटेट शिक्षा महाकुंभ ही लगे, यह शिक्षा विभाग, स्थानीय प्रशासन व पुलिस को सुनिश्चित करना होगा।