Wednesday 14 December 2011

माता-पिता जो चाहेंगे वही चैनल देखेंगे बच्चे

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : सरकार इस बात के इंतजाम करने जा रही है कि दर्शकों को टेलीविजन पर सिर्फ अपनी पसंद के चैनल देखने को मिलें। इसके लिए संचार नियामक ट्राई के साथ मिलकर रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने लोकसभा में कहा कि अभी दर्शकों को प्रसारणकर्ताओं की ओर से दिए जा रहे पैकेज में कई ऐसे चैनल देखने को बाध्य होना पड़ता है, जो वे देखना नहीं चाहते। लिहाजा इस बारे में ट्राई के साथ मिलकर कोई रास्ता निकाला जाएगा। सरकार प्रयास करेगी कि टीवी दर्शक अपनी पसंद के चैनल चुन सकें और इनके शुल्क की सीमा ट्राई तय करे। लोकसभा में केबल टेलीविजन नेटवर्क (नियमन) विधेयक, 2011 पर चर्चा का जवाब देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि यह विधेयक स्थानीय केबल नेटवर्क के डिजिटलीकरण का प्रावधान करता है। वर्ष 2014 तक यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। चर्चा के बाद लोकसभा में यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया। यह कानून बन जाने के बाद स्थानीय केबल नेटवर्क का 2014 तक डिजिटलीकरण करना अनिवार्य हो जाएगा। डिजिटलीकरण के बाद सेट टॉप बाक्स की मांग बढ़ने से इसकी कीमतें और नीचे आने की संभावना है। फिलहाल देश में सेट टॉप बाक्स की कीमत 1200 रुपये से 1500 रुपये के बीच है। सूचना व प्रसारण मंत्री ने कहा कि ये सेट टॉप बाक्स दर्शक किराए पर भी ले सकेंगे। उन्हें यह किस्तों में उपलब्ध कराया जाएगा। यदि दर्शक चाहेंगे तो इसे वापस कर अपनी दी हुई राशि हासिल कर सकेंगे। जहां तक टीवी पर पसंद के चैनल देखने का सवाल है, सरकार इसके भी उपाय कर रही है। ट्राई के साथ मिलकर इस संबंध में नियम बनाने पर काम हो रहा है। अंबिका सोनी ने कहा कि टेलीविजन में दिखाई जाने वाली सामग्री को नियंत्रित करने के उपाय भी सरकार कर रही है। मॉर्फिग (किसी के चेहरे पर स्लाइड लगाना ताकि चेहरा नजर न आए) के अलावा बालिगों के लिए देखे जाने वाले कार्यक्रम रात 11 बजे के बाद दिखाने की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा पैरेंटल लाक के जरिए माता-पिता जो चैनल अपने बच्चों को नहीं दिखाना चाहेंगे, वे ऐसा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि डीटीएच सेवा प्रदाता दस लाख कनेक्शन हर महीने दे रहे हैं। ऐसे में स्थानीय केबल आपरेटरों के बेरोजगार होने का खतरा पैदा हो गया है। केबल नेटवर्क का डिजिटलीकरण इसीलिए किया जा रहा है ताकि प्रतिस्पर्धी माहौल पैदा हो सके। चर्चा के दौरान चैनलों पर दिखाए जा रहे कार्यक्रमों में अश्लीलता को लेकर भी सांसदों ने सवाल उठाए।
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