Monday, 7 November 2011

68 लाख के छात्रावास में एक भी छात्र नहीं

पंकज मिश्रा, चाकुलिया सरकारी पैसे की बर्बादी देखनी हो तो झारखंड के चाकुलिया में आदिवासियों के लिए बने गंडानाटा छात्रावास का दौरा कर लें। पूर्व मंत्री के पैतृक गांव में 68 लाख रुपये की लागत से बने इस छात्रावास में सौ छात्रों के रहने की व्यवस्था है पर गत कई वर्षो से यहां एक भी छात्र नहीं है। औपचारिक रूप से छात्रावास अधीक्षक की मौजूदगी ही दर्ज है। झारखंड सरकार ने आदिवासी छात्रों को आवासीय सुविधा देने के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दिनेश षाडं़गी के पैतृक गांव गंडानाटा में करीब आठ साल पहले छात्रावास बनवाने का निर्णय किया। 23 अक्टूबर 2004 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री षाडं़गी ने सौ छात्रों वाले छात्रावास का उद्घाटन किया। दिलचस्प बात यह है कि इसमें कभी भी दो-चार छात्र से अधिक नहीं रहे। छात्रावास में फिलहाल पास के गांव के तीन-चार बच्चे रह रहे हैं घर से खाना खाने के बाद यहां सोने आते हैं। राज्य संपोषित गंडानाटा विद्यालय की नवीं एवं दसवीं कक्षा में 119 छात्र पढ़ते हैं। इनमें अनुसूचित जनजाति के 47 छात्र और 38 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं। अधिकांश छात्र आसपास के गांव के हैं जो प्रतिदिन अपने घर से आना-जाना करते हैं। उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए ही यहां छात्रावास खोला गया था। शुरू में यहां कुछ छात्र रुके लेकिन 31 मार्च 2007 को रसोइए के सेवानिवृत्त होने के बाद किसी की तैनाती नहीं हुई। भोजन व्यवस्था ठप होने से छात्र चले गए। चूंकि छात्रावास में छात्र न के बराबर है, इसलिए विभाग ने भी ध्यान नहीं दिया। करीब छह साल पहले छात्रावास की सोलर लाइट की बैटरी भी चोरी हो गई, तबसे यहां रोशनी की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
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