राज नारायण सिंह, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षा में छात्र-छात्राओं को सामूहिक रूप से नकल कराने के लिए कुख्यात अतरौली क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ की परंपरा नई नहीं है। यह ऐसा इलाका है, जहां एक-एक कमरे में 15 स्कूल चलते हैं। हजारों विद्यार्थियों वाले इन विद्यालयों में से कुछ में कमरे नहीं हैं, कुछ में दीवारें खड़ी हैं, छत नहीं है। स्कूलों को मान्यता मिले बरसों बीत चुके हैं, मानक पूरे नहीं हुए, जबकि नियमानुसार इन्हें साल भीतर पूरा हो जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने सभी को मुफ्त शिक्षा दिलाने के लिए माध्यमिक शिक्षा अभियान और सबको शिक्षा का अधिकार (आरटीई) जैसे कानून लागू किए हैं पर अतरौली क्षेत्र में इन कानूनों की किरण तक नहीं पहुंची है। तभी तो यहां ऐसे स्कूल धड़ल्ले से चल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये स्कूल नए खुले हैं। ये बरसों से चल रहे हैं। जांच भी होती रही है। इसके बाद भी बोर्ड परीक्षा के लिए थोक में फार्म दे दिए गए हैं। इस बार दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 30 फीसदी अंक आंतरिक परीक्षा के होंगे। ये परीक्षा स्कूलों में ही तीन बार होनी है। इन विद्यालयों में आंतरिक परीक्षा ही नहीं हुई तो अंक कैसे दे दिए गए? इन सभी बातों से साफ है कि ऐसे विद्यालयों को अधिकारियों की ओर से संरक्षण मिला हुआ है। इस बारे में बात करने पर डीआइओएस रवींद्र सिंह ने कहा कि ये मेरी जानकारी में नहीं थी। अब दोनों ही विद्यालयों की खुद जांच करूंगा। केस-1 : वीरेश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सांकरा। इस विद्यालय में कमरे तो तीन हैं, पर छत एक को ही नसीब है। देखने से लगता है कि यहां बरसों से शिक्षण कार्य ही नहीं हुआ है। विद्यालय को बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के लिए इस बार 235 फार्म दिए गए हैं। केस-2 : पंडित खूबीराम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, तेवथू। इस विद्यालय में भवन के नाम पर कमरे तो पांच हैं, छत दो पर ही है। फर्नीचर को दीमक खा चुकी है। कमरों में पक्षियों ने घोंसले बना रखे हैं। हाईस्कूल के लिए यहां से 82 ने फार्म भरे हैं।