Wednesday 13 April 2011

खुद कर रहे हैं बिजनेस, अपनी जगह किसी और को लगाया स्कूल में

दिनेश भारद्वाज/हमारे प्रतिनिधि
चंडीगढ़, 11 अप्रैल। एक ओर बढ़ती बेरोजगारी सरकार के लिये सिरदर्द बनी हुई है, वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो सरकारी सेवाओं में होते हुये भी अपनी ड्यूटी के प्रति वफादार नहीं हैं। काम में कोताही या लापरवाही बरतना तो रुटीन की बात है लेकिन यहां तो सरकारी सेवाओं में कार्यरत लोगों ने आउटसोर्सिग का धंधा शुरू कर दिया है। जी हां, यह बात बिल्कुल सही है और आउटसोर्सिग का यह मामला शिक्षा विभाग का है।
विभाग में दर्जनों ऐसे मामलों का पर्दाफाश हुआ है, जहां शिक्षकों ने अपनी जगह किसी और को तैनात किया हुआ है और खुद अपने बिजनेस में व्यस्त हैं। बताते हैं कि मामला सरकार तक भी पहुंच चुका है और उसके बाद ही इसकी जांच के आदेश दिये गये हैं। अपनी जगह किसी और को नौकरी पर भेजने वाले शिक्षकों पर लगे ये आरोप अगर जांच में साबित होते हैं तो उनकी नौकरी तक जा सकती है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न ग्राम पंचायतों की ओर से अलग-अलग माध्यमों से पहले भी इस तरह की शिकायतें आई हैं। पिछले दिनों हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी सरकारी स्कूलों में गठित की गई स्कूल प्रबंधन समितियों की ओर से भी इस तरह की शिकायतें आई हैं। उसके बाद सरकार इस मामले पर गंभीर हो गई और अपनी ड्यूटी पर किसी और को भेजने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का मन बनाया।
यह है मामला : दरअसल कुछ शिक्षक ऐसे हैं, जो नियमित नौकरी में हैं और अच्छा-खासा वेतन सरकार से ले रहे हैं। इनका अपना खुद का बिजनेस भी हैया फिर कहीं और भी काम करते हैं। ऐसे शिक्षकों द्वारा अपनी जगह किसी और को चार-पांच हजार रुपये में नियुक्त किया हुआ है। ऐसे में असली शिक्षक की जगह ‘फर्जी शिक्षक’ स्कूलों में जा रहे हैं और बच्चों को पढ़ा रहे हैं। माना जा रहा है कि बेरोजगारी ही इसका मुख्य कारण है। नहीं तो चार-पांच हजार रुपये के लिये कोई भी इतना बड़ा रिस्क नहीं उठाएगा।
सभी को मिलेंगे आईडी नंबर : बताया गया है कि कई वर्ष पूर्व भी सरकार के पास इस तरह की शिकायतें आई थीं। शिक्षकों की संख्या बहुत अधिक होने तथा स्कूल मुखिया व जिलों के शिक्षा अधिकारियों के तबादले के चलते ‘फर्जी शिक्षकों’ का पता नहीं लग पाता था। इसी के चलते सरकार ने सभी शिक्षकों को आईडी नम्बर देने का फैसला लिया था। अधिकांश शिक्षकों को उनके आईडी नंबर दिये जा चुके हैं और जिन्हें नहीं मिले हैं, उन्हें जल्द ही उनके नंबर अलॉट कर दिये जाएंगे। आईडी नंबर में शिक्षक के बारे में पूरा विवरण होता है।
अब समितियों को कमान : विभागीय सूत्रों का कहना है कि इसी तरह की गड़बड़ को रोकने के लिये सरकार ने अभिभावकों की अधिकतम भागीदारिता के साथ स्कूल प्रबंधन समितियों का गठन किया है। आगे से ये समितियां न केवल विभिन्न योजनाओं के तहत आने जाने वाले पैसे पर नियंत्रण रखेंगी बल्कि शिक्षकों की हाजिरी और गैर-हाजिरी में भी इनका पूरा दखल रहेगा। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में एक-दो समिति की ओर से आई शिकायत में कहा गया है कि नियमित शिक्षक की जगह जो व्यक्ति ड्यूटी देने आ रहा है, उसका व्यवहार ठीक नहीं है।
खंडेलवाल के समय हुई थी जांच : सूत्रों का कहना है कि इस तरह के मामले पहले भी सामने आये थे। उस समय स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. केके खंडेलवाल ने इस मामले की गोपनीय जांच भी करवाई थी। उस जांच को गोपनीय ही रखा गया और विभाग ने अंदरखाते ही इस तरह के मामलों में संलिप्त शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की या फिर नोटिस दे दिये लेकिन इस तरह की किसी भी सूची को सार्वजनिक नहीं किया। बताते हैं कि वर्तमान में पहले की तुलना में बहुत कम मामले हैं।
कुछ स्कूल प्रबंधन समितियों की ओर से इस तरह की शिकायतें आई हैं। पहले भी कुछ ग्राम पंचायतें ने ऐसे आरोप लगाये थे। इस मामले की जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुझे नहीं लगता कि वर्तमान में इस तरह के बहुत अधिक मामले होंगे। फिर भी जांच में सबकुछ सामने आ जाएगा।
-गीता भुक्कल, शिक्षामंत्री, हरियाणा।
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