Wednesday, 28 September 2011

शिक्षकों की भर्ती के मामले में गलती सुधारी

लखनऊ, जागरण ब्यूरो : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कैबिनेट बैठक में मंजूर किए गए प्रस्ताव के क्रम में मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया गया। शासन ने अपनी गलती को सुधारते हुए शिक्षकों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा 29 जुलाई को जारी नवीनतम अधिसूचना में निर्धारित शैक्षिक योग्यताओं को शामिल करते हुए संशोधित शासनादेश जारी किया है। संशोधित शासनादेश के मुताबिक परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए ऐसा व्यक्ति भी पात्र होगा, जिसने न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक और बीएड अर्हता हासिल की हो या इस संबंध में समय-समय पर जारी किए गए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (मान्यता, मानदंड और क्रियाविधि) विनियमों के अनुसार न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक और शिक्षा में एक वर्षीय स्नातक प्रशिक्षण (बीएड) उत्तीर्ण किया हो। एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक शिक्षकों की यह नियुक्ति पहली जनवरी 2012 तक कर लेनी है। नियुक्ति के बाद अभ्यर्थियों को प्रारंभिक शिक्षा में एनसीटीई द्वारा मान्यताप्राप्त छह महीने का विशेष कार्यक्रम पूरा करना होगा। चयन के पहले ऐसे अभ्यर्थियों को उप्र सरकार द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। कैबिनेट ने बीती 14 सितंबर को परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, वह एनसीटीई द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 23 अगस्त 2010 और 10 जून 2011 को जारी अधिसूचनाओं पर आधारित था। इन अधिसूचनाओं में स्नातक स्तर पर 50 प्रतिशत अंकों के साथ सिर्फ बीए/बीएससी/बीकॉम उत्तीर्ण करने और समय-समय पर एनसीटीई विनियमों के अनुसार बीएड कर चुके अभ्यर्थियों को प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षक नियुक्त करने के योग्य माना गया था। एनसीटीई ने बीती 29 जुलाई को नई अधिसूचना जारी कर शिक्षकों की भर्ती में समय-समय पर जारी एनसीटीई विनियमों के अनुसार 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण करने के साथ बीएड अर्हता हासिल करने वालों को भी मौका दिया है। एनसीटीई की नई अधिसूचना के क्रम में बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को संशोधित प्रस्ताव भेजा था, जिसके आधार पर शिक्षक भर्ती का संशोधित शासनादेश जारी किया गया है। पहले के शासनादेश को लेकर अभ्यर्थियों में भ्रम फैला था जिसे दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को संशोधित शासनादेश जारी करना पड़ा ताकि आगे कोई अड़चन न आए।
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