मुरादाबाद। भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़ी महाभारत में अन्ना के सारथी बने अरविंद केजरीवाल शुरू से ही सिस्टम में सुधारात्मक बदलाव के पैरोकार रहे हैं। वर्ष 1993 में केजरीवाल के साथ 16 हफ्ते का फाउंडेशन कोर्स करने वाले आईएएस, आईपीएस और आईआरएस आज भी उन दिनों पर चरचा करते नहीं थकते। दोस्तों के साथ टेबिल टॉक हो या सेमिनार पर बोलने का मौका, उनके साथी कहते हैं कि अरविंद के चरित्र में व्यवस्था परिवर्तन के एक सिपाही की छवि उस वक्त भी झलकती थी।
बात वर्ष 1993 में 5 सितंबर से 24 दिसंबर के बीच की है जब लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी में आईएएस, आईपीएस और केंद्र सरकार की दूसरी सेवाओं के अधिकारियों का एक बैच फाउंडेशन कोर्स कर रहा था। केजरीवाल आईआरएस के लिए बेसिक कोर्स करने गए थे। ट्रेनिंग पीरियड में अरविंद के करीबी अफसरों का कहना है कि उनके विचार बड़े क्रांतिकारी थे। पुलिस अकादमी के एसएसपी सुनील गुप्ता उनके साथ बिताए अनुभव को बांटते हुए कहते हैं- कौन जानता था कि उनके साथ कोर्स करने वाला नौजवान भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘युद्ध’ लड़ेगा। इस बैच में कोर्स करने वालों में आईएएस टॉपर रहे अनिरुद्ध मुखर्जी, डीआईजी मेरठ प्रेम प्रकाश सिंह, पंजाब पुलिस के आईजी ईश्वर सिंह और आईजी चंडीगढ़ गुरप्रीत कौर समेत कई लोग बड़े ओहदों पर हैं। सभी केजरीवाल की चर्चा छिड़ते ही बोल उठते हैं- वहां तो हम एक दूसरे के साथ बहुत समय नहीं रह पाते थे लेकिन जितना भी वक्त केजरीवाल साथ होते तो कुछ अलग सा जरूर लगता।
हालांकि उस समय उनकी बातों को बहुत गंभीरता से कोई नहीं लेता था। उनके बैच के और भी कई लोग हैं जो खुलकर भले ही सामने न आ रहे हों लेकिन अंदर ही अंदर लगातार उत्साह बढ़ा रहे हैं।