इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट ने कहा है कि हमारी जनतांत्रिक व्यवस्था में संविधान सर्वोच्च है मगर असली ताकत जनता में निहित है। देश में फैले भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर करते हुए न्यायालय ने कहा कि जिसने भी भ्रष्ट तरीके से धन अर्जित किया है उसकी संपत्ति जब्त करके जनहित में खर्च की जानी चाहिए।
रिटायर्ड रक्षाकर्मी दशरथ सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि न्यायालयों को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ उदारता दिखाने के बजाय सख्ती करनी चाहिए। ऐसे मामलों की निष्पक्ष तरीके से जांच हो ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके। इससे अन्य लोगों में भी संदेश जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि लोकसेवकों को तानाशाह की तरह मनमानी करने की छूट नहीं दी जा सकती।
अदालत ने यह टिप्पणी पेंशन के लिए पिछले 14 वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे दशरथ की याचिका को निस्तारित करते हुए की। कोर्ट ने केंद्र सरकार के पेंशन विभाग के अफसरों को निर्देश दिया है कि वे वर्ष 1999 से बकाया पेंशन का भुगतान आठ फीसदी ब्याज के साथ करें। दशरथ रक्षा विभाग का कर्मचारी था। 31 मई 1995 को वह रिटायर हुआ। 30 जून 1999 तक उसे पेंशन का भुगतान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मिर्जाबाद शाखा गाजीपुर से किया जाता रहा। कुछ महीने बीमारी के कारण वह बैंक नहीं जा सका जिसपर बैंक ने पेंशन रोक दी। बीमारी ठीक होने के बाद वह बैंक गया तो पता चला कि उसका भुगतान रोक दिया गया है। तब से वह बैंक और सरकारी पेंशन विभाग के दफ्तर के चक्कर काट रहा था। किसी ने उसे पेंशन रोके जाने का कारण नहीं बताया। उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। न्यायालय ने सरकारी अधिकारियों की इस करतूत को भ्रष्टाचार की श्रेणी का अपराध माना है।