जागरण संवाददाता, नई दिल्ली चार साल से कम उम्र के बच्चों को सरकार से गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में प्री-प्राइमरी (नर्सरी) में दाखिला देने के मामले को दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार व गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एके सिकरी व न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ की खंडपीठ ने सरकार व स्कूलों की कमेटी से 23 नवंबर तक जवाब देने को कहा है। पीठ ने कहा है कि अदालत के आदेश व शिक्षा निदेशालय द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद भी तीन साल की उम्र के बच्चों को नर्सरी में दाखिला दिया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन अपनी मनमर्जी से नियम कानून को ताक पर रखकर ऐसा कर रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह स्कूलों को ऐसा करने से रोके। साथ ही सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह स्कूलों में प्री-प्राइमरी शिक्षा को दो साल की बजाय एक साल में पूरा करवाने में भी असफल रही है। अभी भी केजी व नर्सरी दो कक्षा होती है। याचिका में सोशल ज्यूरिस्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि सितंबर 2007 में उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि स्कूलों में अशोक गांगुली कमेटी की सिफारिशें लागू की जाए। जिसके अनुसार स्कूल में प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए कम से कम चार साल की उम्र के बच्चे को ही दाखिला दिया जाए। परंतु स्कूल उस आदेश का उल्लंघन कर रहे है। नर्सरी में तीन साल से ज्यादा व चार साल से कम उम्र के बच्चे को दाखिला दिया जा रहा है, जो गलत है और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। सरकार अदालत के पुराने आदेश के तहत दिशा-निर्देश तय करने में असफल रही है।