जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट आजकल दुर्घटना पीडि़तों के दर्द को शिद्दत से महसूस कर रहा है। मंगलवार को उसने ट्रिब्यूनल और अदालतों से सड़क दुर्घटना के पीडि़तों का मुआवजा तय करते समय लचीला रुख अपनाने को कहा था। इसके साथ ही 15 साल पहले सड़क दुघर्टना के फलस्वरूप लकवाग्रस्त हुए संजय बाथम नामक व्यक्ति को 4.20 लाख की मांग के मुकाबले 5.62 लाख रुपये का मुआवजा देने का बीमा कंपनी को आदेश देकर खुद नजीर भी पेश की। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल संजय बाथम की याचिका स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को मुआवजे की बढ़ी हुई राशि तीन महीने के भीतर अदा करने का आदेश दिया है। यह भी कहा है कि बीमा कंपनी बढ़े हुए मुआवजे के साथ दावा अर्जी दाखिल करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 9 फीसदी की दर से ब्याज भी देगी। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की गणना में संजय की विवाह की संभावनाओं में आई कमी और आगे इलाज में होने वाले खर्च को भी शामिल किया है। इस पहलू को हाईकोर्ट ने नहीं शामिल किया था। पीठ ने कहा कि अदालत दुर्घटना पीडि़त को ज्यादा मुआवजा दे सकती है। कानून में इस पर कोई रोक नहीं है। घटना 1996 की है। ग्वालियर में स्कूटर से जा रहे 20 वर्ष के संजय को तेजी से आते ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में संजय गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य चोटों के अलावा सिर में फ्रैक्चर हुआ, जिससे संजय का बायां अंग लकवाग्रस्त हो गया। उन्होंने मई 1996 में मोटर दुर्घटना ट्रिब्यूनल में दावा दाखिल कर 4.20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी। मगर ट्रिब्यूनल ने महज 25 हजार मुआवजा दिलाया। इसमें 5 हजार कमाई बंद होने के, 10 हजार इलाज खर्च के, 5 हजार दुर्घटना की पीड़ा के और 5 हजार विशेष आहार के मद में थे। इस पर संजय ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने राशि बढ़ा कर ढाई लाख कर दी। इसके खिलाफ संजय सुप्रीम कोर्ट पहंुचे। सुप्रीम कोर्ट ने नुकसान की नए सिरे से गणना की है। उसने कमाई बंद होने के लिए 1,62,000 रुपये, भविष्य में इलाज पर होने वाले खर्च के लिए 2 लाख रुपये और विकलांगता के कारण विवाह की कम हुई संभावनाओं व मानसिक पीड़ा के लिए 2 लाख रुपये और मुआवजे में जोड़ दिए।