> हाईकोर्ट के कड़े रुख ने बढ़ाई गेस्ट टीचरों की मुश्किलें
> रणनीति तैयार करने को यूनियन ने रोहतक में बैठक बुलाई
सुशील कुमार नवीन . हिसार
प्रदेश के विभिन्न राजकीय स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचरों की उम्मीदों को हाई कोर्ट ने जोर का झटका दिया है। भविष्य में नियमित होने की आस तो दूर सेवा में बने रहने के लिए भी उनके समक्ष 'करो या मरो' की स्थिति बन आई है। मामले की गंभीरता पर गेस्ट टीचर यूनियनें भी सजग हो गई हैं।
शुक्रवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के कड़े रुख ने प्रदेशभर के 16 हजार गेस्ट टीचरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इससे पहले गेस्ट टीचर आगामी छह माह तक और सेवा में बने रहने की उम्मीदें संजोए हुए थे। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में अभी फैसला सुरक्षित रखा है पर कोर्ट के रुख को देखते हुए गेस्ट टीचरों को रियायत मिलने की उम्मीदें कम ही है। पिछले छह वर्षों से स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचरों के लिए उम्मीद की एक किरण अभी बाकी है, जो उन्हें सेवा में बनाए रख सकती है। मार्च 2006 में हाईकोर्ट ने ही गेस्ट टीचरों के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें नियमित भर्ती तक सेवा में बनाए रखने के निर्देश दिए थे। सरकार फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। पिछले माह सरकार ने याचिका को सुप्रीम कोर्ट से विड्राल कर लिया था। सरकार का यह फैसला गेस्ट टीचरों के लिए राहत भरी सांस साबित हो सकता है।
वर्तमान में हाई कोर्ट सरकार के नियमित भर्ती में देरी पर नाराज है। सरकार ने कोर्ट में पक्ष रखा था कि उन्हें इस मामले में छह माह का और समय दिया जाए। नए शैक्षणिक सत्र को शुरू होने में केवल 2८ दिन शेष हैं। सरकार से इतने कम समय में भर्ती मुश्किल है। दूसरे पिछले सत्र में ही सरकार ने शैक्षणिक सत्र के बीच में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति पर रोक लगाते हुए उन्हें 31 मार्च तक सेवा में बरकरार रखा हुआ है। आगामी सत्र में पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए नियमित भर्ती तक गेस्ट टीचरों को सेवा में बरकरार रखने के लिए सरकार और भी प्रयास कर सकती है।
> रणनीति तैयार करने को यूनियन ने रोहतक में बैठक बुलाई
सुशील कुमार नवीन . हिसार
प्रदेश के विभिन्न राजकीय स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचरों की उम्मीदों को हाई कोर्ट ने जोर का झटका दिया है। भविष्य में नियमित होने की आस तो दूर सेवा में बने रहने के लिए भी उनके समक्ष 'करो या मरो' की स्थिति बन आई है। मामले की गंभीरता पर गेस्ट टीचर यूनियनें भी सजग हो गई हैं।
शुक्रवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के कड़े रुख ने प्रदेशभर के 16 हजार गेस्ट टीचरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इससे पहले गेस्ट टीचर आगामी छह माह तक और सेवा में बने रहने की उम्मीदें संजोए हुए थे। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में अभी फैसला सुरक्षित रखा है पर कोर्ट के रुख को देखते हुए गेस्ट टीचरों को रियायत मिलने की उम्मीदें कम ही है। पिछले छह वर्षों से स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचरों के लिए उम्मीद की एक किरण अभी बाकी है, जो उन्हें सेवा में बनाए रख सकती है। मार्च 2006 में हाईकोर्ट ने ही गेस्ट टीचरों के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें नियमित भर्ती तक सेवा में बनाए रखने के निर्देश दिए थे। सरकार फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। पिछले माह सरकार ने याचिका को सुप्रीम कोर्ट से विड्राल कर लिया था। सरकार का यह फैसला गेस्ट टीचरों के लिए राहत भरी सांस साबित हो सकता है।
वर्तमान में हाई कोर्ट सरकार के नियमित भर्ती में देरी पर नाराज है। सरकार ने कोर्ट में पक्ष रखा था कि उन्हें इस मामले में छह माह का और समय दिया जाए। नए शैक्षणिक सत्र को शुरू होने में केवल 2८ दिन शेष हैं। सरकार से इतने कम समय में भर्ती मुश्किल है। दूसरे पिछले सत्र में ही सरकार ने शैक्षणिक सत्र के बीच में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति पर रोक लगाते हुए उन्हें 31 मार्च तक सेवा में बरकरार रखा हुआ है। आगामी सत्र में पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए नियमित भर्ती तक गेस्ट टीचरों को सेवा में बरकरार रखने के लिए सरकार और भी प्रयास कर सकती है।