Thursday 19 May 2011

इन प्रमाणपत्रों को कोई लेने वाला ही नहीं

बलवान शर्मा, फतेहाबाद परीक्षा में पास होने के लिए छात्र मेहनत के साथ तरह-तरह के जुगाड़ लगाते हैं। एक डिग्री या डिप्लोमा पाने के लिए वह रातों में जी-तोड़ मेहनत करते हैं या फिर मुन्नाभाई बन तरह-तरह के जुगाड़ लगाते हैं, लेकिन उन्हें क्या कहें जो परीक्षा पास करने के बाद भी तकनीकी पाठ्यक्रम का प्रमाण-पत्र लेने नहीं पहुंचते। प्रदेश में ऐसे एक-दो नहीं हजारों छात्र हैं जो आइटीआइ का डिप्लोमा करने के बावजूद सर्टिफिकेट लेने ही नहीं पहुंचे। प्रदेश की करीब 119 से अधिक आइटीआइ में पिछले कई सालों से विभिन्न ट्रेडों के ऐसे हजारों सर्टिफिकेट लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे हजारों सर्टिफिकेट के दुरुपयोग की आशंका है। अब विभाग ने इस आशंका से निपटने के लिए कवायद शुरू कर दी है। प्रदेश में चल रही 119 आइटीआइ में पिछले कई सालों से विभिन्न ट्रेडों के सर्टिफिकेट लेने के लिए छात्र नहीं आ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार के इन सर्टिफिकेट की संख्या नौ से दस हजार हो सकती है। ये सर्टिफिकेट पिछले 15 से 20 साल से ही नहीं लिए जा रहे हैं। इस कारण लगातार असली सर्टिफिकेट विभिन्न आइटीआइ की अलमारियों की शोभा बनते जा रहे हैं। इनमें एससीबीटी तथा एनसीबीटी दोनों ही प्रकार के सर्टिफिकेट शामिल हैं। रोहतक, हिसार, भिवानी जैसी पुरानी आइटीआइ में तो 15 से 20 साल तक के सर्टिफिकेट जमा हैं। जबकि फतेहाबाद जैसी नई आइटीआइ में भी पिछले दस साल के सर्टिफिकेट जमा हैं। यहां पर 258 बच्चों के सर्टिफिकेट सन 2001 से रुके हुए हैं। हर साल बच्चे पास तो हो जाते हैं, लेकिन वे असली सर्टिफिकेट लिए बगैर ही चले जाते हैं। ऐसे में छात्रों की सर्टिफिकेट से अनदेखी आइटीआइ प्रशासन के लिए भी परेशानी का सबब बनती जा रही है, क्योंकि इन सर्टिफिकेट के दुरुपयोग की आशंका भी बनी रहती है। इनका दुरुपयोग न हो, इसके लिए विभाग के उच्चाधिकारियों ने ठोस कदम उठाए हैं। इसके तहत छात्रों के पतों पर सर्टिफिकेट ले जाने के लिए सूचना भेजी जा रही है। यह है इस बेरुखी का कारण आइटीआइ में विभिन्न ट्रेड के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों के पास होते ही उन्हें प्रशासन द्वारा अस्थायी (प्रोविजनल) सर्टिफिकेट दिया जाता है। इस सर्टिफिकेट के सहारे छात्र सरकारी या निजी कंपनी में नौकरी करने लग जाते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि इसके बावजूद भी उन्हें असली सर्टिफिकेट की आवश्यकता क्यों नहीं पड़ती। इस बात का जवाब तो वह खुद ही दे सकते हैं। पूरे प्रदेश में है यही हाल :प्राचार्य फतेहाबाद की आइटीआइ के प्राचार्य बृजपाल बैनीवाल ने बताया कि अस्थायी सर्टिफिकेट लेने के बाद छात्र नहीं आते हैं। उन्होंने माना कि पूरे प्रदेश में ही यह हाल है और जहां पुरानी आइटीआइ हैं,वहां तो सर्टिफिकेट की संख्या भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे लगातार छात्रों से संपर्क कर रहे हैं।
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