अश्विनी शर्मा, करनाल अध्यापक पात्रता परीक्षा पर फिर सवालिया निशान खडे़ हो गए हैं। परीक्षा के लिए योग्य करार देकर बीएड की योग्यता रखने वाले युवकों के साथ धोखा किया जा रहा है। नियम के अनुसार इस परीक्षा को पास करने के बावजूद वे जेबीटी के समानांतर होकर भी शिक्षक की नौकरी हासिल नहीं कर सकेंगे। उन युवकों को बेवजह सब्जबाग दिखाकर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड अपनी तिजोरी भर रहा है। हालांकि बोर्ड पर गाहे-बगाहे फीस वसूलने के आरोप लगते रहे हैं। प्रदेश में सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने का चलन 2008 से शुरू हुआ था। 2009 तक हुई परीक्षाओं में जेबीटी शिक्षक बनने के लिए बीएड को मान्यता नहीं दी गई। इस बार यह अनोखा काम हुआ है कि जेबीटी शिक्षक की नौकरी हासिल करने के लिए बीएड पास छात्रों को भी मान्य करार दिया गया। नए नियम से बीएड वालों की बांझें खिल गई। नियमों की बात पर आएं, तो बीएड के छात्र के यह परीक्षा पास करने के बाद कई प्रावधानों में फंस जाएंगे। उन्हें जेबीटी शिक्षक की नौकरी हासिल करना मुमकिन नहीं रहेगा। हरियाणा सिविल सर्विस रूल के मुताबिक जेबीटी शिक्षक के पद पर पहले इस कोर्स को करने वाले युवकों को तरजीह दी जाएगी। जब तक उन छात्रों की नौकरी नहीं लगती, तब किसी और को शिक्षक का पद नहीं दिया जाएगा। इस समय जेबीटी शिक्षकों के पद करीब 13 हजार खाली हैं, जबकि इस संकाय को पास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या रिक्त पदों के मुकाबले कई गुणा हैं। बीएड की योग्यता रखने वाले अध्यापक पात्रता परीक्षा पास कर किसी हाल में जेबीटी शिक्षक के नियुक्त होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें यह सब्जबाग क्यों दिखाया गया है कि वे जेबीटी शिक्षक की नौकरी के योग्य हो जाएंगे। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि जेबीटी शिक्षक के पदों पर बीएड विशेष शिक्षा प्राप्त योग्यता वाले लगते हैं, लेकिन यह पद प्रदेश में चंद ही हैं।