Wednesday 10 August 2011

आवेदन का घमासान

राज्य अध्यापक पात्रता परीक्षा के आवेदन फार्मो की बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि वास्तव में चौंकाने वाली है। सवाल उठ रहा है कि भावी अध्यापकों की संख्या रातों-रात कैसे बढ़ गई या उनमें एकाएक जागरूकता कैसे आ गई? क्या निकट भविष्य में नौकरी की संभावनाओं में बढ़ोतरी दिखाई देने लगी? आवेदन फार्मो का आलम यह है कि ब्लैक में भी नहीं मिल रहे। अफरा-तफरी से बचने के लिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को पात्रता परीक्षा के लिए आवेदन जमा कराने की अवधि 12 से बढ़ाकर 20 अगस्त करनी पड़ी। सारे परिदृश्य पर नजर डालें तो शिक्षा विभाग कठघरे में खड़ा नजर आएगा। दिसंबर 2009 में अंतिम बार स्टेट की परीक्षा हुई, जिसमें एक लाख, 63 हजार भावी अध्यापक बैठे थे। इस बार अब तक तीन लाख से अधिक प्रॉस्पेक्ट्स बिक चुके हैं, दो लाख और छपवाए जा रहे हैं यानि पांच लाख से अधिक भावी अध्यापक परीक्षा देंगे। यह संख्या पिछली परीक्षा से तीन गुणा से भी अधिक है। नेट और स्लेट की तरह स्टेट परीक्षा वर्ष में दो बार होनी अनिवार्य है पर 2009 में सिर्फ एक बार ली गई, 2010 में एक बार भी नहीं। हरियाणा में इतने अधिक निजी बीएड कालेजों को मान्यता मिल गई कि हर साल 50 हजार से अधिक भावी अध्यापकों की फौज तैयार हो रही है। स्कूल लेक्चरर पद के दावेदारों के अलावा जेबीटी भी पात्रता परीक्षा देंगे। डेढ़ वर्ष तक स्टेट परीक्षा न करवा कर प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग ने व्यवस्था का बोझ और भावी अध्यापकों की पीड़ा को स्वयं बढ़ाया है। शिक्षा विभाग का एक और फरमान विसंगति पैदा कर रहा है। पात्रता परीक्षा पास करने वाले बीएड छात्र जेबीटी भर्ती के लिए भी योग्य माने जाएंगे। शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद हर स्कूल में अध्यापकों के रिक्त पदों पर भर्ती सरकार की बाध्यता हो गई है। इसके लिए अलग टीचर भर्ती बोर्ड का भी गठन हो गया। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 31 मार्च 2012 के बाद गेस्ट टीचरों को सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। यानी 15 हजार से अधिक स्थायी अध्यापकों की भर्ती करनी ही होगी। आवेदन के घमासान के यही कुछ मुख्य कारण हैं। शिक्षा विभाग को अपनी नीतियों में व्यावहारिकता और गतिशीलता लानी होगी। स्टेट परीक्षा वर्ष में दो बार अनिवार्य रूप से कराई जाए, अध्यापकों के खाली पदों को नियमित अंतराल पर भरा जाए।
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