करनाल, जागरण संवाद केंद्र : हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ का विलय हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ में हो गया है। इस विलय के साथ ही यह संगठन स्कूलों के चपरासी से लेकर प्रिंसिपल तक का प्रतिनिधित्व करेगा। इससे प्रदेश में शिक्षा जगत की ताकत की ताकत जबरदस्त ढंग से बढे़गी। चूंकि यह नाम स्कूल से जुडे़ प्रत्येक मसले को अपने समेटकर चलेगा। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन में यह महत्वपूर्ण सांगठनिक फैसला करते हुए स्वयं को हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ में विलय करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। संघ के प्रवक्ता सत्यपाल सिवाच ने कहा कि शिक्षकों और शिक्षा ढांचे के विभिन्न स्वरूप को सम्मिलित करते हुए एक सर्वसमावेशी अध्यापक आंदोलन विकसित करने में मदद मिलेगी। महासचिव वजीर सिंह ने तीन वर्ष की समीक्षात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करते वर्तमान स्थिति का जीवंत चित्रण किया। उन्होंने राज्य सरकार की शिक्षा नीति पर निराशा प्रकट की। रिपोर्ट में जन शिक्षा के लिए अन्य संगठनों से मिलकर अभियान चलाने, विभिन्न कैटेगरी के संगठनों को मुख्यधारा में जोड़ने, कार्यकर्ता प्रशिक्षण और शैक्षिक विकास के लिए नियमित प्रशिक्षण केंद्र चलाने का आ ान किया गया। वित्तीय रिपोर्ट पेश करते हुए कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बाटू ने बताया कि राच्य में 34 हजार 321 अध्यापक सदस्य बने हैं। अध्यापकों के सभी वर्गो-प्राथमिक अध्यापक, सीएंडवी, मास्टर, प्राध्यापक, मुख्याध्यापक व प्राचार्य का उनकी संख्या के अनुपात में अच्छा प्रतिनिधित्व हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अध्यापक संघ को वित्तीय दृष्टि से और अधिक सक्षम बनाने की संभावना है। दिल्ली विश्वविद्यालय संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बिजेंद्र शर्मा ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार कॉरपोरेट जगत के हक में फैसले करके शिक्षा जगत पर कुठाराघात कर रही है। उन्होंने शिक्षा अधिकार को संशोधित करके लागू करने और उच्च शिक्षा में बाजारीकरण को रोकने का महत्वपूर्ण बताया। एसएफआइ के महासचिव विनोद देशवाल ने सार्वजनिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए समाज के सभी वर्गो को आगे आने का आ ान किया।