म्यूचुअल फंड ही नहीं, बैंक के फिक्स डिपॉजिट जैसे सभी तरह के निवेश विकल्प इसका हिस्सा होने चाहिए देश में बचत और निवेश परिदृश्य में जिन महत्वपूर्ण चीजों का होना जरूरी है, उनमें एक है रिटायरमेंट अकाउंट। लेकिन यह मौजूद नहीं है। इस अकाउंट के उपलब्ध होने पर बचतकर्ता अपनी पेंशन संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए बचत के विस्तृत विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस खाते के लिए जरूरत के मुताबिक म्यूचुअल फंडों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं। सीआइआइ के वार्षिक म्यूचुअल फंड उद्योग सम्मेलन में पिछले महीने सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा था कि पेंशन फंड के क्षेत्र में म्यूचुअल फंडों का विस्तार होना चाहिए। रिटायरमेंट अकाउंट का विचार बेहद साधारण है। एक खास बचत विकल्प के तौर पर सेवानिवृत्ति बचत का एक खाता होना चाहिए। साथ ही इस खाते का रखरखाव एक डिपॉजिटरी के द्वारा किया जाना चाहिए। इस खाते में जमा राशि की खाताधारक को पूरी जानकारी होनी चाहिए। खासतौर पर तब, जब पैसे का विभिन्न विकल्पों में निवेश किया गया हो। जब तक इस पैसे को रिटायरमेंट अकाउंट से न निकाला जाए, तब तक इस पर टैक्स न लगे। सेवानिवृत्ति की उम्र में पहुंचने पर इस पैसे को इसमें हुई वृद्धि के साथ निकालने की सुविधा होनी चाहिए। न्यू पेंशन सिस्टम की तरह इसके तहत एन्युटी खरीदने का विकल्प होना चाहिए, जो व्यक्ति के पूरे जीवन की आय के लिए लाभदायक होगा। इस तरह के तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण बात इसका लचीलापन होती है। म्यूचुअल फंड ही नहीं, बल्कि बैंक के फिक्स डिपॉजिट जैसे सभी तरह के निवेश विकल्प भी इसका हिस्सा होने चाहिए। सेवानिवृत्ति बचत जैसे विशेष तरह के निवेश विकल्प में बचतकर्ता को लाभ पहुंचाने वाले हर तरह के विकल्प उपलब्ध होने चाहिए। इस तरह का तंत्र सेवानिवृत्ति बचत तंत्र में वाणिज्यिक रूप से जान डाल सकता है। विभन्न निवेश विकल्प उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को इस तंत्र में शामिल किया जाना चाहिए। इस तरह के निवेश विकल्पों को दीर्घकालिक अवधि का होना चाहिए, ताकि निवेशक उन समस्याओं से बच सकें, जो वे खुद ही अपने लिए खड़ी कर लेते हैं। पीएफआरडीए या इसके जैसा कोई अन्य नियामक रिटायरमेंट अकाउंट के जरिए दी जा रही सेवाओं की निगरानी कर सकता है। लागत में तार्किक कमी और पारदर्शिता के जरिए इन सेवाओं को पूरी तरह से व्यवस्थित रखा जा सकता है। इस तरह का सेवानिवृत्ति अकाउंट तंत्र कोई नई बात नहीं है। कई देशों में यह व्यवस्था मौजूद है। अमेरिका की 401 (के) अकाउंट व्यवस्था उन्हीं में एक है। इस अकाउंट में खाताधारक के वेतन से एक निश्चित राशि और इतनी ही राशि नियोक्ता के जरिए जमा की जाती है। यह ईपीएफओ की तरह रिटायरमेंट अकाउंट व्यवस्था है। इसी तरह यूरोप के कई विकसित देशों में यह व्यवस्था लागू है। इस व्यवस्था नया रूप रोथ 401 के नाम से जाना जाता है। इसमें जमा किया गया पैसा टैक्स फ्री नहीं होता, बल्कि यह ऐसी रकम होती है जिस पर टैक्स का भुगतान किया जा चुका है। एक बार इस अकाउंट में पैसा जमा किए जाने के बाद उस पर कोई टैक्स नहीं लगता। इस पैसे से होने वाली अतिरिक्त कमाई भी कर मुक्त होती है। सार्वजनिक स्तर पर मौजूद जानकारियों के आधार पर यह स्पष्ट है कि सरकार ने इस तरह के रिटायरमेंट अकाउंट के संबंध में कई बार विचार किया है। यह वर्ष 2009 में प्रत्यक्ष कर संहिता के मूल ड्राफ्ट में भी मौजूद था। जून 2010 में इस प्रावधान को हटा दिया गया। इसके लिए तर्क दिया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के तंत्र को चलाना जटिल कार्य है। लेकिन जो आज जटिल है, अगले एक साल में सहज रूप से क्रियान्वयन के योग्य हो जाएगा। यूआइडी और सरकारी क्षेत्र में विभिन्न सूचना प्रौद्योगिकी परियोजनाओं की सफलता के कारण इस तरह का तंत्र व्यवहार्य हो गया है। एकीकृत रिटायरमेंट अकाउंट देश में पेंशन और सेवानिवृत्ति बचत के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।