Tuesday, 24 May 2011

कैबिनेट ने जाति जनगणना और बीपीएल गिनती को मंजूरी दी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : आजाद भारत में पहली बार जाति व धर्म के आधार पर जनगणना और गरीबी रेखा से नीचे गुजर करने वालों की व्यापक गिनती की सरकार ने मंजूरी दे दी है। अगले महीने से शुरू होने वाली इस कवायद में पहली बार शहरी गरीबों का भी आकलन होगा। सरकार की तैयारी इस गिनती से सही हकदारों की पहचान कर उन्हें सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंचाने की है। ब्रहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा, इस गिनती के लिए देश के हर घर का दरवाजा खटखटाया जाएगा। सामाजिक व आर्थिक आधार पर जनगणना का यह काम दिसंबर, 2011 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस कवायद से संसद में राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से जातीय जनगणना और सामाजिक व आर्थिक आधार पर गिनती कराने की मांग पर सरकार द्वारा दिया गया भरोसा भी पूरा होगा। सूचना प्रसारण मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि लोगों की जाति और धर्म संबंधी सूचनाएं गोपनीय रखी जाएंगी। गरीबों की गिनती के आंकड़ों का इस्तेमाल 12वीं पंचवर्षीय योजना में सब्सिडी का लाभ सीधे गरीब तबके तक पहुंचाने के लिए किया जाएगा। जाति आधारित आंकड़े रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएंगे। कागज विहीन इस जनगणना को विशेष टेबलेट कंप्यूटर के जरिये अंजाम दिया जाएगा। घर-घर होने वाली इस गिनती में राज्य सरकार के कर्मचारियों का इस्तेमाल किया जाएगा। 2002 के बाद हो रहे बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) सर्वेक्षण में गरीब तय करने के पैमानों में भी इस बार व्यापक बदलाव किए गए हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजय कुमार प्रकाश ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा में शामिल करने, बाहर रखने और अन्य सात आधार पर निर्धारण की व्यवस्था की गई है। सूत्रों के मुताबिक इसमें घर में लैंडलाइन फोन और दस हजार रुपये तक की मासिक आमदनी, घर, जमीन, घर में पुरुष सदस्यों की संख्या और शैक्षणिक स्थिति जैसे पैमाने तय किए गए हैं। प्रकाश ने बताया कि इनमें से अधिकतर मापदंड वही हैं जो एन.सी. सक्सेना समिति ने सुझाए थे।
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