Saturday 12 November 2011

दावों के बावजूद प्रदेश में तेजी से गिर रहा शिक्षा का स्तर

संजीव गुप्ता, झज्जर राज्य सरकार शिक्षा में सुधार के दावे भले ही कितने कर रही हो लेकिन कड़वा सच यह है कि स्थिति बद से बदतर हो रही है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि प्रदेश के लगभग 45 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूल छोड़कर निजी स्कूलों का रुख कर चुके हैं। आलम यह है कि छात्र कल्याण से संबद्ध सरकारी योजनाएं भी धूल चाट रही हैं। इस स्थिति से शिक्षामंत्री गीता भुक्कल चिंतित हैं और सुधार के लिए सख्त कदम उठाने की बात भी कर रही हैं। गौरतलब है कि भ्रूणहत्या के लिए बदनामी झेल रहे प्रदेश में शिक्षा की स्थिति भी अधिक संतोषजनक नहीं है। हालांकि प्रदेश सरकार तो इसके लिए यथासंभव प्रयास कर रही है। छात्र कल्याण से जुड़ी नई-नई योजनाएं भी प्रारंभ कर रही है। मगर उन्हें लागू करने में खामियों के कारण अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं हो पा रहा। आलम यह है कि लगभग 365 करोड़ रुपये से लागू किया गया कंप्यूटर शिक्षा कार्यक्रम भी पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है। झज्जर की ही बात करें तो यहां आए कंप्यूटर अब भी धूल फांक रहे हैं। स्टोर में पड़ी सर्वशिक्षा अभियान की किताबें चूहे कुतर रहे हैं। कुछ स्कूलों में आज भी बच्चे बेंच नहीं होने से टाट पर बैठकर पढ़ते हैं। इस सारी हकीकत से प्रदेश की शिक्षामंत्री गीता भुक्कल स्वयं भी वाकिफ तथा चिंतित हैं। चार दिन पूर्व ही उस समय उनकी यह चिंता साफ नजर आई जब शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल से स्थानांतरण के मसले पर उनकी जमकर बहस हुई। शिक्षकों का यह वर्ग अपना मनचाहा स्थानांतरण कराने पर आमादा था जबकि शिक्षामंत्री उन्हें उनका पहला कर्तव्य अर्थात सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के प्रति उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई थी। भुक्कल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह शिक्षकों की अनदेखी का ही नतीजा है कि प्रदेश के 47 लाख बच्चों में से करीब 20 लाख आज प्राइवेट स्कूलों में चले गए हैं। प्रदेश में करीब 14700 सरकारी स्कूल हैं। उन्होंने इन शिक्षकों को इसके लिए भी जमकर लताड़ा कि वे हमेशा अपनी ही समस्याएं लेकर आते हैं, बच्चों की परेशानी पर कभी बात नहीं करते। शिक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि भविष्य में वह शिक्षकों के केवल उसी प्रतिनिधिमंडल या संगठन से बात करेंगी जो पहले बच्चों की दिक्कतों पर बात करे। शुक्रवार को मेवात जिले में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा विशेष अभियान की शुरुआत भी इसी का हिस्सा है तो शिक्षकों के मन चाहे स्थानांतरण पर रोक का निर्णय भी। शिक्षा दिवस के मौके पर हर स्कूल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का संदेश भी इसी मंशा से पढ़कर सुनाया जाएगा।
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