जागरण संवाददाता, नई दिल्ली सड़क दुर्घटना के एक मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इन मामलों में सही न्याय तभी मिल सकती है जब सरकार एवं वाहन निर्माण कंपनी भारी वाहनों के निर्माण के समय उनमें विशेष सीसीटीवी कैमरे या हाईटेक स्पीड मीटर लगाएं। इससे कोई भी दुर्घटना होने पर यह स्पष्ट हो सकेगा कि दुर्घटना के समय भारी वाहन की क्या स्थिति थी और वाहन कितनी तेज गति से चल रहा था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने अदालत यह निर्देश दिल्ली सरकार एवं वाहन निर्माण कंपनियों को दिए। वहीं, अदालत ने बस चालक द्वारा दायर उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें सजा को कम करने की अपील की गई थी। अदालत ने कहा कि वाहनों में ऐसे अत्याधुनिक मीटर लगाया जाय, जिससे यह पता चल सके कि दुर्घटना के समय वाहन की गति क्या थी तो बहुत से मामलों में सही न्याय मिल सकेगा। इसके साथ ही अगर भारी वाहनों के आगे सीसीटीवी कैमरे लगा दिए जाएं तो उससे यह भी पता लगाने में आसानी रहेगी कि दुर्घटना के समय गलती किसकी थी। पेश मामले में उत्तरी दिल्ली निवासी रमेश कुमार कत्याल ने एक साल की सजा के खिलाफ याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि उसकी बस की टक्कर से वर्ष 1995 में एक स्कूटर सवार दिनेश सूरी की मौत हो गई थी। अदालत ने रमेश की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अदालत को अधिकार है कि वह अपने निर्णय के अनुसार उचित सजा सुना सके। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में सड़क हादसों में सबसे अधिक जानें जाती हैं। अक्सर भारी वाहनों से हुई टक्कर में दोष उसी के चालक का माना जाता है।