साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के कैलेंडर में साल में 400 से अधिक दिन होते हैं। चौंकिए मत! यह सच है। तभी तो उत्तर प्रदेश के मनरेगा के एक मजदूर ने साल भर में 403 दिन की मजदूरी की और उसकी मजदूरी का भुगतान भी हुआ। जबकि मनरेगा में 100 दिनों से ज्यादा का रोजगार नहीं है। राज्य मनरेगा में इस तरह का गड़बड़झाला एक दो जिलों में नहीं बल्कि 30 जिलों में पाया गया है, जहां 400 दिनों तक कार्य दिखाया गया है। सीईजीसी ने मनरेगा के मजदूरों के नाम पर फर्जी मस्टर रोल की जांच की है। उन्होंने अपनी विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को सौंपी है। केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद (सीईजीसी) के सदस्य संजय दीक्षित ने अपनी जांच रिपोर्ट में राज्य के तीस जिलों का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि 90 फीसदी जॉब कार्ड वाले मजदूरों को काम नहीं मिला है। अफसरों, ग्राम प्रधान और सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं की मिलीभगत से फर्जी भुगतान कराए गए हैं। दरअसल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के प्रावधानों के मुताबिक प्रत्येक जॉब कार्ड वाले परिवार को एक साल में अधिकतम 100 दिनों तक का काम दिया जा सकता है। दीक्षित ने उत्तर प्रदेश और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर जांच की है। दीक्षित के मुताबिक राज्य के 30 जिलों में फर्जी मस्टर रोल बनाकर भुगतान कराने के प्रमाण हैं। जांच रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के बल्दीराय ब्लॉक में उस्कामऊ गांव के नौशाद ने 403 दिनों तक कार्य किया है। इसी गांव के केशव समेत कई लोगों ने सौ से अधिक दिनों तक कार्य किया है। गाजीपुर जिले के सैदपुर और सादात ब्लॉक में फर्जी मस्टर रोल बनाने का मामला सामने आया है। उल्लेखनीय है कि इसी जिले में कथित दागी सीडीओ राजबहादुर तैनात हैं। यहां पर अधिकतम 330 दिनों की मजदूरी का भुगतान कराया गया है। यहां सैदपुर ब्लॉक के इचवल गांव में 22 लोगों ने 102 से लेकर 330 दिनों तक कार्य किया है। जौनपुर में 231 दिन, महोबा में 150 दिन, मिर्जापुर में 241 दिन, सोनभद्र में 159 दिन, फैजाबाद में 233 दिन, आजमगढ़ जिले लालगंज और तरवां ब्लॉक में 151 दिनों से लेकर 301 दिनों तक कार्य कराए गए हैं। बलिया में 188 कार्य दिवस तक कार्य कराए गए हैं। राज्य मनरेगा में भ्रष्टाचार का यह अपने आप में अनूठा नमूना है। उत्तर प्रदेश मनरेगा में गड़बड़ी पर सवाल खड़ा करते हुए सीईजीसी सदस्य ने कार्रवाई की मांग की है।