सिरसा, जागरण संवाददाता : आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। अब उनको निजी स्कूलों में पढ़ने के लिए मोटी रकम नहीं देनी होगी। शिक्षा विभाग ने ऐसे विद्यार्थियों को मेरिट के आधार पर सरकारी स्कूलों के बराबर ही फीस लेने के निर्देश दिए हैं। लेकिन इसका भार अन्य छात्रों पर डालने की छूट भी प्रदान कर दी है। मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के संचालक अब आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फीस माफ करने में आनाकानी नहीं कर सकते। उन्हें अब 25 फीसदी विद्यार्थियों को मामूली फीस पर ही शिक्षा देनी होगी। शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इसके लिए स्कूल संचालक चाहे तो बाकी के 75 फीसदी विद्यार्थियों से इसकी भरपाई कर सकते है। गौरतलब है कि मान्यता प्राप्त स्कूल के नियम 134-ए के तहत हरेक स्कूल को 25 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों से सरकारी स्कूल वाली फीस ही ली जा सकती है। परंतु किसको यह लाभ दिया जाए यह साफ नहीं हो पाया था। अब विभाग ने नए दिशानिर्देश जारी कर दिए है। कक्षा में सबसे पहले 60 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले कमजोर तबके के विद्यार्थियों को छूट दी जाए। अन्य छात्रों पर बढ़ेगा बोझ : हर महीने मोटी फीस के भार से दबे जा रहे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए यह बहुत राहत भरी खबर है, लेकिन बाकी 75 फीसदी बच्चों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। 25 फीसदी बच्चों को फीस में जितनी राशि की छूट दी जाएगी, वह शेष 75 फीसदी बच्चों से वसूली जाएगी। उप-जिला शिक्षा अधिकारी डा. यज्ञदत्त वर्मा कहते है कि मान्यता प्राप्त स्कूल 25 फीसदी विद्यार्थियों से सरकारी स्कूल की ही फीस ले सकते है। उनका कहना है कि मेरिट के आधार पर ही यह छूट दी जाएगी।