प्रदेश में आरटीई लागू होने के बाद स्कूलों में अध्यापक-छात्र अनुपात के तहत तबादले की आशंका से अध्यापकों की नींद उड़ी हुई है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 30 बच्चों पर एक अध्यापक नियुक्त किया जाना है। प्राथमिक स्कूलों में 35 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक होना चाहिए लेकिन फिलवक्त स्थिति यह है कि बहुत से स्थानों पर एक अध्यापक पर 40 से अधिक विद्यार्थियों पर पढ़ाने की जिम्मेदारी है। कुछ स्थानों पर विद्यार्थियों के अनुपात से अध्यापकों की संख्या अधिक है। ऐसे में सरकार ने रेशनेलाइजेशन नीति के तहत तबादले करने की योजना बनाई है। विभाग पांच महीने से इस प्रक्रिया को अंजाम देने की कोशिश में लगा है, लेकिन यह कार्य पूरा नहीं हो पा रहा। विभाग ने इसके लिए तबादलों के इच्छुक अध्यापकों से ऑनलाइन आवेदन भी मांगे लेकिन तबादला प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई। सूत्रों की मानें तो प्राइमरी स्कूलों में प्रथम एक सौ बीस विद्यार्थियों पर चार और 200 तक पांच अध्यापकों की व्यवस्था की गई है। इससे ऊपर चालीस छात्रों पर एक अध्यापक की व्यवस्था की जाएगी और मुख्यशिक्षक भी उन्ही अध्यापकों में शामिल होगा। ऐसे में जिन स्कूलों में छात्र संख्या कम हो गई है, वहां के अध्यापकों को सरप्लस होने की आशंका से तबादले का भय सता रहा है। वर्ष 2003 में वरिष्ठ अध्यापकों का तबादला किया गया था तो 2005 में जूनियर अध्यापकों को समायोजित किया गया। तबादले की आशंका में वरिष्ठ अध्यापक अभी से जुगाड़ करने में जुट गए हैं। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दर्शना देवी ने बताया कि निदेशालय के निर्देशानुसार सभी स्कूलों का डाटा एकत्रित किया गया है। निदेशालय के आदेश के तत्काल बाद आरटीई को लागू कर दिया जाएगा।