Friday, 28 October 2011

संस्कृत पर पंजाब सरकार लापरवाह : हाईकोर्ट

देश की पुरातन भाषा संस्कृत पर पंजाब सरकार का उदासीन रवैया सामने आया है। इसका पता इस बात से लगता है कि पंजाब के स्कूलों में संस्कृत के शिक्षकों की कमी उफान पर है और राज्य सरकार इस कमी को दूर करने के लिए कोई उपाय नहीं कर रही। इसी संबंध में दायर एक याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को राज्य के सरकारी स्कूलों में संस्कृत के शिक्षकों की कमी को पूरा कर खाली पदों पर नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस के कण्णन ने फैसले में कहा कि भाषा किसी भी देश की संस्कृति की पहचान है। संस्कृत भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक है। यह भारतीय संस्कृति व परंपरा का प्रतीक है। ऐसे में इस पुरातन भाषा को आसानी से मरने नहीं दिया जा सकता। ऐसे में राज्य सरकार छात्रों की दिलचस्पी को देखते हुए सरकारी स्कूलों में खाली पड़े संस्कृत शिक्षकों के पद भरे। कपूरथला के पंजाब हिंदी संस्कृत विकास परिषद के अध्यक्ष शंभू नाथ शास्त्री की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि राच्य के सरकारी स्कूलों में संस्कृत के शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही। संस्कृत शिक्षक जब कभी स्कूलों से रिटायर होते हैं तो इस पद को समाप्त किया जा रहा है अथवा किसी अन्य विषय से इसे बदला जा रहा है। ऐसे में राज्य के सरकारी स्कूलों में संस्कृत के योग्य शिक्षकों की कमी होती जा रही है। राज्य सरकार इन खाली पड़े पदों को नहीं भर रही है।

अदालत ने फैसले में कहा कि डीपीआई सुनिश्चित करें कि जब कभी संस्कृत शिक्षकों का पद खाली हो तो उसे संस्कृत के योगय शिक्षक की भर्ती कर ही भरा जाए। इसके अलावा यदि नई कक्षाओं में संस्कृत नहीं पढ़ाई जा रही तो भी इन पदों को छात्रों के हित को देखते हुए खारिज न किया जाए।
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