Friday, 28 October 2011

निर्णय के निहितार्थ

पवित्रता कायम रखने के नाम पर शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रदेश के 21 में से सिर्फ 14 जिलों में ही कराने का हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का फैसला तार्किक कसौटी पर असंगत प्रतीत हो रहा है। यह मानना भी समझ से परे है कि राज्य के एक तिहाई जिलों में परीक्षा केंद्रों पर दबंगई की आशंका रहती है। इस तर्क को बोर्ड की 10वीं तथा 10+2 परीक्षा पर भी लागू करके देखा जाना चाहिए। दस जमा दो परीक्षा अधिसंख्य छात्रों के कॅरियर का आधार बनती है। क्या उसमें पवित्रता के मापदंड एचटेट परीक्षा से कम महत्वशाली हैं? एचटेट के लिए शिक्षा बोर्ड का नवीनतम फैसला तात्कालिक या दीर्घकालिक है, इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की जा रही पर पवित्रता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास और प्रबंधों से बचने की कोशिश को किसी भी संदर्भ में न्यायोचित नहीं माना जा सकता। क्या बोर्ड की सामान्य परीक्षाएं भी सीमित जिलों में होनी चाहिए? हो सकता है यह तर्क दिया जाए कि छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण ऐसा संभव नहीं है परंतु परीक्षा की शुचिता के मानक तो समान रहने चाहिए। शिक्षा विभाग प्रदेश के उन 350 बीएड संस्थानों पर भी गंभीरता से विचार करे जिनमें से अधिकांश में केवल 10 से 15 फीसद छात्र नियमित रूप से आते हैं। शेष सिर्फ परीक्षा देने ही हाजिर होते हैं। उन छात्रों की वर्ष भर की हाजिरी कैसे पूरी हो जाती है? तात्पर्य यह है कि शिक्षक बनने का आधार तैयार करते वक्त पूरी निगरानी नहीं होती पर उसके बाद पात्रता परीक्षा के लिए मानक एकाएक संवेदनशील कैसे हो गए? विडंबना देखिये कि जहां शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय है, उसी शहर में एचटेट परीक्षा नहीं होगी। प्रश्न यह भी उठा है कि सात जिलों में जो अभ्यर्थी एचटेट परीक्षा देकर पात्रता हासिल कर चुके हैं, नियोक्ता किस दृष्टिकोण से उनका साक्षात्कार के समय आकलन करेंगे? इस बार शिक्षा पात्रता परीक्षा के लिए पौने पांच लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। 14 जिलों में अतिरिक्त प्रयास और प्रबंध तो बोर्ड को करने होंगे, साथ ही ऐसे दीर्घकालिक उपायों की भी जरूरत है जिनसे परीक्षा की पवित्रता अक्षुण्ण रहे और किसी जिला विशेष को मुख्य धारा से अलग या उपेक्षित करने की नौबत न आए। शिक्षा बोर्ड की स्वीकारोक्ति परीक्षा तंत्र की गहन समीक्षा की मांग करती दिखाई दे रही है। मुख्य नीति निर्धारकों को शिक्षा परिदृश्य को सकारात्मक रूप देने के लिए संयुक्त रूप से गहन मंथन करके ठोस पहल करनी होगी।
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