दिल्ली हाई कोर्ट के बदले रुख का अंदाजा शायद दिल्ली सरकार को 14 दिसंबर से पहले ही हो गया है तभी तो वह जिस दाखिले को नर्सरी दाखिला कहती थी उसे अब वह प्री-नर्सरी दाखिला कह रही है। सरकार का कहना है कि यह प्री-नर्सरी एक तरह से प्ले स्कूल जैसा ही है। जहां तक स्कूली पढ़ाई का सवाल है तो उसकी पढ़ाई चार साल से नर्सरी कक्षा से ही होगी। उसके बाद बच्चा पहली कक्षा में जाएगा। हालांकि राजधानी के कुछ स्कूलों में नर्सरी में दाखिला चार साल में होता है, लेकिन नब्बे फीसदी से अधिक स्कूलों में तीन साल की उम्र में होने वाले दाखिले को नर्सरी दाखिला ही कहा जाता है और सरकार इसके लिए हर साल दिशा-निर्देश जारी भी करती है। दरअसल चार साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए हलफनामे को ही आधार बनाकर वकील अशोक अग्रवाल ने नर्सरी दाखिला उम्र को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। हलफनामे में सरकार ने पहली कक्षा से पहले एक साल की स्कूल होने की बात कही हुई है। जिसमें दाखिले की उम्र चार साल रखी गई है। इसके बाद बच्चा सीधे पहली कक्षा में चला जाएगा। लेकिन राजधानी के निजी स्कूलों में ऐसा नहीं हो रहा है। नर्सरी कक्षा के नाम पर 3 साल के बच्चों का दाखिला किया जा रहा है और फिर 4 साल की उम्र में केजी करवाई जाती है। शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने साफ कर दिया है कि यह दाखिला नर्सरी कक्षा में नहीं बल्कि प्री- नर्सरी कक्षा में है। उन्होंने इसे एक तरह से प्ले स्कूल करार दिया। उन्होंने कहा कि सेंट कोलंबस सहित कुछ स्कूलों में आज भी पहली कक्षा से पहले एक साल का ही स्कूल है जिसमें दाखिला 4 साल में होता है। जब उसने पूछा गया कि तो फिर प्री-नर्सरी कक्षा में दाखिला को सरकार क्यों संचालित करती है, इसके जबाव में उन्होंने कहा कि चूंकि राजधानीवासी 3 साल की उम्र में ही बच्चे को स्कूल में भेजना चाहते हैं लिहाजा दाखिला में आपाधापी न मचे इसके लिए सरकार दिशा-निर्देश जारी करती है। इसके अलावा उसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं रहती है।