Monday, 30 January 2012

अनियमित दाखिले के बाद भी पूरी करेंगे डॉक्टरी की पढ़ाई

नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विशेष संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केरल के चार मेडिकल छात्रों को एमबीबीएस का पाठ्यक्रम पूरा करने की मंजूरी दे दी है। ये छात्र मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा निर्धारित पात्रता के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे थे और इनका दाखिला अनियमित था। न्यायमूर्ति साइरिक जोसेफ और रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों के मामले को विशेष मामला मानते हुए उन्हें पाठ्यक्रम पूरा करने की इजाजत दी। दीपा थोमस, अनु रूबीना, अंजन बाबू और अभय बाबू साढ़े चार साल की मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। इन चारों छात्रों ने वर्ष 2007-08 में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया था। हालांकि यह चारों छात्र एमसीआइ की ओर से तय मानदंडों पर खरे नहीं उतरे थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर हमारा विचार है कि इस स्तर पर छात्रों को रोकना उचित एवं न्यायसंगत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करता है और छात्रों को एमबीबीएस का पाठ्यक्रम पूरा करने की इजाजत दी जाती है। एमसीआइ के नियमों के तहत परीक्षा में बैठने और प्रवेश परीक्षा (सीईई) उत्तीर्ण करने के लिए दोनों में ही पचास प्रतिशत अंक लाना जरूरी है। इन चारों छात्रों ने अर्हता परीक्षा में पचास प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए थे, लेकिन वे सीईई की परीक्षा में पचास प्रतिशत अंक हासिल नहीं कर पाए थे। निजी मेडिकल कॉलेजों ने भी अपनी प्रास्पेक्टस में सीईई के नियमों की अनदेखी की। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने इस छात्रों के दाखिले को नियमित किए जाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था।
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