संजय वर्मा, भिवानी हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग में व्यवस्था की गाड़ी अनेक जिलों में झटके खाकर चल रही है। प्रदेश के आठ जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी तो चार जिलों में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की कुर्सी लम्बे समय से खाली है। इतना ही नहीं इन जिलों की व्यवस्था को संभालने का अतिरिक्त कार्यभार अन्य जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी भी कंधों पर ढो रहे हैं। जानकारों के मुताबिक छोटे से छोटे कार्य भी इन अधिकारियों के पद खाली होने से प्रभावित हो रहे हैं। हैरानी तो इस बात कि है कि एक जिला शिक्षा अधिकारी के पास तीन-तीन जिलों का अतिरिक्त कार्यभार है, ऐसे में अगर एक सप्ताह भी अधिकारी ईमानदारी से डयूटी बजाए तो एक जिले के हिस्से एक दिन ही मुश्किल से आ पाता है। उसमें भी साहब दोपहर होते-होते अपने मूल जिले में लौटने की फिराक में रहते हैं, क्योंकि साहब को समय से घर भी तो पहुंचना होता है। अधिकारियों के पद रिक्त होने की वजह से अध्यापकों की जिला स्तर पर समस्याएं भी बरकरार हैं। अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा में जिला शिक्षा अधिकारी के पद रिक्त पड़े हुए हैं। आश्चर्य है कि प्रदेश की शिक्षा मंत्री के गृह जिले झज्जर में भी जिला शिक्षा अधिकारी का पद लम्बे समय से खाली है। अगर बात जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की करें तो अंबाला, महेंद्रगढ़, मेवात और पंचकूला में अधिकारी की कुर्सी खाली हुए काफी अर्सा बीत चुका है। अंबाला में न तो जिला शिक्षा अधिकारी है और न ही डीईईओ। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारियों व मौलिक शिक्षा अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रमोशन की प्रक्रिया जारी है। प्रक्रिया पूरी होते ही नियुक्तियां कर दी जाएंगी।