चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : परिजनों की मर्जी के खिलाफ विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों को बड़ी राहत देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को पुलिस को आदेश दिया कि वह प्रेमी जोड़ों के खिलाफ अपहरण की एफआइआर न दर्ज करे। यह राहत चंडीगढ़ सहित पंजाब एवं हरियाणा के प्रेमी जोड़ों के लिए है। जस्टिस रणजीत ¨सह ने यह आदेश देते हुए कहा कि अगर लड़का और लड़की बालिग हैं और वे अपनी मर्जी से विवाह करते हैं तो वह पूरी तरह से वैध है। 18 वर्ष से अधिक आयु की लड़की की मर्जी व विवेक पर ही प्रेम विवाह को वैध माना जाएगा। ऐसी लगभग 35 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किए गए हैं। अक्सर यह देखने में आता है कि लड़का व लड़की जब परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ घर से भाग कर प्रेम विवाह कर लेते हैं तो लड़की के परिवार वाले लड़के पर लड़की के अपहरण का मामला दर्ज करा देते हैं। इसी डर से प्रेमी जोड़े अपनी सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय पहुंचते रहे हैं। इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एमिक्स क्यूरे अनुपम गुप्ता ने प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देने का अधिकार उच्च न्यायालय से अपने पास ही रखने की अपील की है। यह शक्तियां निचली अदालतों को हस्तांतरित नहीं की जानी चाहिए।