Wednesday, 14 December 2011

टीईटी पर कदम-दर-कदम मिला एक ही सवाल

इलाहाबाद : कटरा का नेतराम चौराहा। समय सुबह के 10.30 बजे। प्रतियोगी छात्रों का एक झुंड बैठा चाय पी रहा था। सहायक अध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया पर चर्चा जोरों पर थी। हाईकोर्ट द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी सहायक शिक्षकों के विज्ञापन को रद करने और अब आगे की संभावनाओं पर जेरे बहस जारी थी। कोई कह रहा था फिर से विज्ञापन आएगा, तो कोई इसका विरोध कर रहा था। कोई कह रहा था कि प्रदेश स्तर पर मेरिट बनेगी तो कोई, जनपद स्तर पर अड़ा हुआ था। सवाल एक पर उसके रूप अनेक थे। सबकी संयुक्त चिंता यह थी कि क्या भर्ती प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी हो पाएगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद का भी यही नजारा था। यहां भी अभ्यर्थी कई झुंड में चर्चा में मशगूल दिखे। चर्चा का विषय वही। कोई पांच जिलों के आवेदन शुल्क पर खर्च हुए पैसे को डूबा बता रहा था तो कोई इसका विरोध कर रहा था, पर सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या 31 दिसंबर तक सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। साझा चिंता थी कि कहीं कोई बड़ा लोचा न फंस जाए। दरअसल, अभी भी कई बिंदुओं पर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है। कुछ आधार काफी मजबूत भी हैं। इनमें से पात्रता परीक्षा को चयन प्रक्रिया बनाए जाने को चुनौती दी गई है। राज्य स्तर पर बने मेरिट अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा में सहायक अध्यापकों की चयन प्रक्रिया में राज्य स्तर की मेरिट बनाए जाने की मांग की है। इस संदर्भ में अभ्यर्थियों ने बुधवार को चंद्रशेखर आजाद पार्क में दोपहर 12 बजे बैठक बुलाई गई है। आयु सीमा बढ़ाने की मांग की बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में प्रशिक्षु शिक्षकों के चयन के लिए भूतपूर्व सैनिकों ने आयु बढ़ाने की मांग की है। तर्क है कि शिक्षकों के चयन के पैरा दो में अधिकतम आयुसीमा में केवल तीन साल की ही छूट दी गई है। इससे केवल 43 वर्ष के ही भूतपूर्ण सैनिक आवेदन कर सकते हैं। सैनिकों का कहना है कि बीटीसी 2011 में भूतपूर्व सैनिकों के संबंध में पैरा 3ख में आयु संबंधी शिथिलता सेना में संपूर्ण अवधि को वास्तविक आयु में से घटाकर और उसके बाद तीन वर्ष की और छूट देने की बात कही गई है। भूतपूर्व सैनिकों ने बीटीसी 2011 के आधार पर सहायक अध्यापक की भर्ती में आयु में छूट देने की मांग की है।
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