चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : हरियाणा में नई जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश और राजस्थान की आरक्षण नीतियों पर मंथन शुरू कर दिया गया है। राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग ने दोनों राज्यों की आरक्षण पालिसी अध्ययन के लिए मंगाई हैं। अन्य विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है। हरियाणा के पिछड़ा वर्ग आयोग के पास आरक्षण के लिए 240 आवेदन आए हैं। इनमें जाट, ब्रांाण, राजपूत, जाट सिख, वैश्य, पंजाबी, बिश्नोई, गोसाई और रोड समाज को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग की गई है। करीब दो दर्जन आवेदन ऐसे हैं, जिनमें आरक्षण की चाह रखने वाली इन जातियों को दबंग और प्रभावशाली बताते हुए इन्हें पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल नहीं किए जाने का अनुरोध किया गया है। आल हरियाणा बैकवर्ड समाज के अध्यक्ष ओमप्रकाश समेत सैनी, यादव, कुम्हार और जांगड़ा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने जाट, पंजाबी, बिश्नोई, वैश्य, ब्रांाण, राजपूत और जाट सिखों को आरक्षण दिए जाने का विरोध किया है। इस सबके बीच, पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें भेजने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है। पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य जय सिंह बिश्नोई के अनुसार दूसरे राज्यों की आरक्षण नीति का अध्ययन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान की आरक्षण पालिसी मंगा ली गई हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है। सांख्यिकी विभाग से आंकड़ागत जानकारी मांगी गई है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने नई जातियों को पिछड़े वर्ग की श्रेणी में शामिल करने के लिए सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक दायरा भी निर्धारित कर दिया है। बिश्नोई ने हालांकि इस दायरे का खुलासा करने से इनकार कर दिया, लेकिन इतना संकेत जरूर दिया कि यह केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दायरे से मिलता-जुलता है। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दायरे में आमूल-चूल एवं कुछ जरूरी परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने बताया कि आयोग 11 व 12 जनवरी को हिसार में आरक्षण की मांग और विरोध करने वाले संगठनों की सुनवाई करेगा। 16 व 17 जनवरी को जींद जिले के प्रतिनिधियों से बात की जाएगी। बाकी जिलों में सुनवाई का कार्यक्रम समय-समय पर जारी किया जाता रहेगा।