नई दिल्ली
तीन साल की उम्र में निजी स्कूलों के दो लाख सीटों पर दाखिले लेने वाले बच्चों को स्कूल की पढ़ाई से मुक्ति मिल सकती है। दरअसल नर्सरी दाखिले में उम्र की सीमा को दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को दिल्ली सरकार की ओर से जो जबाव दाखिल किया गया है उसमें सरकार ने गांगुली कमेटी की सिफारिश को मानते हुए सन 2007 को कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामे को ही फिर से दोहरा दिया है। हाईकोर्ट के सामने दिल्ली सरकार ने कहा कि 3 साल की उम्र में स्कूलों में होने वाला दाखिला स्कूल की पढ़ाई का हिस्सा नहीं है। सरकार 4 साल की उम्र से ही स्कूल की पढ़ाई को शुरू करेगी जिसे प्री-प्राइमरी कहा जाता है। इसके बाद बच्चा सीधे पहली कक्षा में आगे चला जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एके सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को दिल्ली सरकार के वकील रुचि सिद्धवानी ने शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक शशि कौशल की ओर से तैयार रिपोर्ट को दाखिल किया। जिसमें सरकार ने कहा कि वह स्कूली पढ़ाई के मामले में अपने 2007 के अपने हलफनामे को ही पूरी तरह से ताकीद करते हैं। उन्होंने कहा कि 3 साल की उम्र में दाखिला प्ले स्कूल या प्री-नर्सरी कहलाएगा। 4 साल की उम्र में दाखिला स्कूल का हिस्सा होगा और यह प्री-प्राइमरी या नर्सरी कहलाएगा। इसके बाद बच्चा सीधे पहली कक्षा में जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि 3 साल की उम्र में दाखिला प्ले स्कूल और प्री-नर्सरी का हिस्सा है तो इसके लिए सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के तहत अलग से दिशा-निर्देश तैयार कर रही है। हालांकि दिल्ली सरकार ने कहा हाईकोर्ट जो आदेश देगी उसे मंजूर होगा लेकिन इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसमें निजी स्कूल की ओर से लगाया गया है। याचिका कर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने बुधवार को खुद ही अपनी पुरानी बात मान ली। अब 21 दिसंबर को इस बहस होगी और संभवत: उसी दिन फैसला भी आ जाएगा।