जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश निर्मल यादव को चर्चित नोटकांड मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल सकी है। मामले में सह आरोपी निर्मल यादव की याचिका सोमवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। पूर्व न्यायाधीश यादव ने सीबीआइ द्वारा अपने खिलाफ ट्रायल कोर्ट में दायर चार्जशीट को रद किए जाने की मांग की थी व ट्रायल कोर्ट में उनके खिलाफ चल रही अभियोजन को चुनौती दी थी। सीबीआइ ने इस वर्ष मार्च में निर्मल यादव के उत्तराखंड हाईकोर्ट से सेवानिवृत्ति होने के तुरंत बाद विशेष अदालत में चार्जशीट दायर कर दी थी। जस्टिस प्रमोद कोहली ने 55 पन्नों के अपने आदेश में जस्टिस यादव की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ सीबीआइ की विशेष अदालत में चल रहा केस बकायदा चलता रहेगा। साथ ही यह भी कहा गया कि अगर हाईकोर्ट का कोई भी जज किसी मामले में अपने खिलाफ अदालती कार्रवाई का सामना कर रहा है तो उसे भी छूट नहीं दी जा सकती। एक जज को भी ठीक उसी तरह अदालती कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जिस तरह आम नागरिक को करना पड़ता है। जस्टिस कोहली ने अपने आदेशों में यह भी साफ कर दिया कि केस का पूरा रिकार्ड देखने के बाद यह तय हो गया है कि देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएच कपाडि़या ने जस्टिस यादव के खिलाफ केस चलाए जाने की अर्जी पर विचार करके ही इसकी मंजूरी के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की थी। राष्ट्रपति ने भी मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर ही जस्टिस यादव के खिलाफ सीबीआइ को केस चलाए जाने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद ही सीबीआइ ने जस्टिस यादव के खिलाफ विशेष अदालत में चार्जशीट दायर कर दी थी। 13 अगस्त 2008 को जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर 15 लाख रुपये का पैकेज पहुंचाया गया था। बाद में पता चला कि दरअसल यह पैसे जस्टिस निर्मल यादव के घर पहुंचाए जाने थे, जो गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गए थे।