चंडीगढ़, जाब्यू: प्रदेश के निजी बहुतकनीकी कॉलेज संचालकों ने प्रदेश द्वारा मान्यता फीस लिए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। इन निजी कॉलेजों में दाखिले तो कम हो ही रहे हैं, साथ ही इनके समक्ष वित्तीय संकट भी पैदा हो गया है। निजी बहुतकनीकी कॉलेज संघ द्वारा कुछ अन्य मामलों में दोहरे नियम अपनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जता दिए जाने के बाद तकनीकी शिक्षा महानिदेशक ने शिष्टमंडल को 17 नवंबर को बातचीत के लिए बुलाया है। एसोसिएशन के चेयरमैन ऋषिपाल गहलोत, महासचिव प्रताप ¨सह और प्रवक्ता प्रवीण गोयल ने रविवार को यहां बताया कि करीब एक दर्जन मसलों पर महानिदेशक के साथ वार्ता प्रस्तावित है। उनके अनुसार रेशनेलाइजेशन कमेटी को बंद करने की मांग लंबे समय से हो रही है। निजी कॉलेजों में बायोमीट्रिक मशीन लगा दी गई है। सरकारी बहुतकनीकी संस्थानों में यह मशीनें अभी तक नहीं लगाई गई हैं। ऐसे में दोहरा नियम बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। ऋषिपाल गहलोत के अनुसार हरियाणा स्टेट काउंसिलिंग सोसायटी द्वारा एक लाख रुपये की सिक्योरिटी ली जा रही है। यह पैसा उन्हें तुरंत वापस मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ा विवाद कॉलेजों की मान्यता फीस पर है। प्रदेश सरकार की ओर से सभी निजी बहुतकनीकी कॉलेजों से मान्यता के नाम पर हर वर्ष पचास हजार रुपये लिए जाते हैं। सभी कॉलेजों से प्रति ट्रेड तीस हजार रुपये की अतिरिक्त वसूली हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि जब अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) को दो लाख रुपये की फीस दी जाती है तो हरियाणा का हक कैसे बनता है।