जींद, जागरण संवाद केंद्र : एक ओर जहां कामनवेल्थ और एशियाई गेम्स में प्रदेश की महिला खिलाडि़यों ने कबड्डी और कुश्ती जैसे भाग लेकर पूरे विश्व में नाम रोशन कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग द्वारा 21 से 23 नवंबर तक पंचकूला में आयोजित किए जाने वाली राज्य स्तरीय प्राइमरी स्कूल खेल प्रतियोगिताओं में लड़कियों को कुश्ती और कबड्डी जैसे खेलों से वंचित रखा जाता है। जानकारी के अनुसार 21 नवंबर को पंचकूला में राज्य स्तरीय प्राइमरी खेल स्कूल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। अब तक अधिकांश जिलों में ब्लाक और जिला स्तर पर प्राइमरी स्कूलों की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित हो चुकी हैं। पिछले कई सालों से खंड से लेकर राज्य स्तर पर होने वाली प्राइमरी स्कूलों की खेल प्रतियोगिताओं में लड़कियों को कबड्डी और कुश्ती प्रतियोगिताओं से वंचित रखा जाता है जबकि लड़कों की उक्त दोनों प्रतियोगिता हर वर्ग में होती हैं। 2007 से पूर्व लड़कियों की उक्त प्रतियोगिताएं होती थी, उसके बावजूद इन प्रतियोगिताओं को बंद कर दिया गया, जो कि अब तक जारी है। लड़कियों की कुश्ती और कबड्डी जैसे प्रतियोगिताएं न कराने से जहां उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, वहीं पर इन दोनों खेलों में अपना भविष्य संवारने की सोचने वाले खिलाडि़यों को काफी धक्का लगा हुआ है। अधिकारियों के पास भी इन दोनों को प्रतियोगिताओं को बंद किए जाने के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं पता है। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी और प्रेस सचिव सुनील आर्य का कहना है कि प्राइमरी खेलों में लड़कियों की कबड्डी व कुश्ती प्रतियोगिताएं होनी चाहिए ताकि वह आगे बढ़कर जिला, राज्य, नेशनल स्तर पर नाम रोशन कर सकें। निदेशालय को मामले में गंभीरता से सोचना चाहिए। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिला का कहना है कि ब्लाक और जिला स्तरीय प्राथमिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में लड़कियों की कुश्ती व कबड्डी प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं की गई है। विभाग द्वारा जारी खेल कैलेंडर में भी इनका जिक्र नहीं है। जो प्रतियोगिताएं दी गई थी, उन्हें ही कराया गया है। लड़कियों की कुश्ती व कबड्डी प्रतियोगिताएं न कराने के पीछे कोई जानकारी नहीं है।