दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त अध्यापकों को बतौर गेस्ट टीचर नियुक्त करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार हलफनामा देकर स्पष्ट करे कि क्या पहली अगस्त 2011 को जारी परिपत्र के अनुसार वह सेवानिवृत अध्यापकों को गेस्ट टीचर नियुक्त कर रही है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को कोर्ट में विस्तृत हलफनामा देकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या पहली अगस्त 2011 को जारी परिपत्र के अनुसार सरकार सेवानिवृत अध्यापकों को गेस्ट टीचर नियुक्त कर रही है। हाई कोर्ट ने अंबाला निवासी तिलकराज बनाम हरियाणा सरकार मामले में 30 मार्च 2011 को अपने फैसले में हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि सरकार भविष्य में कोई भी गेस्ट टीचर नियुक्त नहीं करेगी और अप्रैल 2012 के बाद राज्य में कोई भी गेस्ट टीचर कार्यरत नहीं रहेगा और सरकार तब तक नियमित टीचरों की नियुक्ति की प्रकिया पूरी कर लेगी। इसके विपरीत शिक्षा विभाग ने 1 अगस्त 2011 को एक परिपत्र जारी कर सांइस व कॉमर्स संकाय के लिए सेवानिवृत्त अध्यापकों को नियुक्त करने का निर्देश जारी किया था। इस मामले में अंबाला निवासी तिलकराज ने कोर्ट में अवमानना याचिका जारी कर सरकार द्वारा नियमित अध्यापकों की नियुक्ति में और हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित करने में देरी व गेस्ट टीचरों की नियुक्ति को चुनौती दी। सुनवाई के दौरान हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार सितंबर में अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित करना चाहता था इस बाबत चुनाव आयोग से इजाजत मिल गई थी लेकिन संस्कृत अध्यापकों द्वारा अपने को अध्यापक पात्रता परीक्षा से बाहर रखने को हाई कोर्ट में चुनौती देने और मामले के 14 अक्टूबर को निपटारे के कारण आवश्यक कार्यवाही की तैयारी के चलते परीक्षा का आयोजन नवंबर में किया गया है। राजन ने हाईकोर्ट को नियमित टीचर की नियुक्ति मामले में स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर शिक्षक भर्ती बोर्ड का गठन कर दिया है। इस मामले में विधानसभा भी बिल पास कर चुकी है और सरकार 30 मार्च के दिए गए हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही काम करेगी। हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।