रोजगार के मौके बढ़ाने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि उसे पाने के लिए योग्य हाथ तैयार रहें। तकनीक प्रधान युग में यह क्षेत्र बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दे सकता है। छोटी-बड़ी मशीनें आज घरेलू जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। बिना यंत्रों के तो कल-कारखाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मशीनें हैं तो उन्हें दुरुस्त रखने या बनाने वाले भी चाहिए। आवश्यकता के अनुसार नए-नए उपकरण और यंत्र बनाने की जरूरत पड़ती है। 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद छात्र यदि इस क्षेत्र में पढ़ाई करते हैं तो उन्हें अपेक्षाकृत कम खर्च में रोजगार देने वाली शिक्षा हासिल हो सकती है। मानव संसाधन मंत्रालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में प्रदेश के सभी प्रखंडों में पॉलीटेक्निक संस्थान शुरू किए जाने का एक प्रस्ताव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को भेजा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने मानव संसाधन मंत्रालय के प्रस्ताव पर निजी फर्मो की तलाश शुरू कर दी है। जिस रफ्तार में प्रखंडों के लिए निजी फर्मो की तलाश पूरी होती जाएगी, उसी तेजी के साथ प्रखंडों में पॉलीटेक्निक संस्थान खुलने शुरू हो जाएंगे। प्रस्ताव के तहत प्रति पॉलीटेक्निक को केंद्र सरकार से तीन करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। राज्य सरकार को पॉलीटेक्निक संस्थान के लिए जमीन की व्यवस्था करनी है। सरकार अगर जमीन उपलब्ध नहीं करा पाती है तो उसे इसके एवज में दो करोड़ रुपये की राशि देनी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने केंद्र सरकार की इस योजना को ध्यान में रख सभी जिलाधिकारियों को जमीन तलाशने के लिए पत्र भी लिखा है। पीपीपी मोड के तहत जिस निजी फर्म को इस योजना में शामिल किया जाएगा उन्हें दस करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। निजी फर्म को इस बात की स्वतंत्रता रहेगी कि वह पॉलीटेक्निक संस्थानों के पाठ्यक्रम को किसी खास इंडस्ट्री की जरूरत के अनुसार निर्धारित कर सके। इससे विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को हुनरमंद होने के ज्यादा से ज्यादा मौके मिलेंगे।