Sunday 2 October 2011

अब टीचर भर्ती में भी घोटाला

अविनाश चंद्र, नई दिल्ली दिल्ली नगर निगम में फर्जी सफाई कर्मचारी वेतन घोटाला मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि एक और बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। इस बार मामला अनुबंध के आधार पर नर्सरी व प्राइमरी टीचरों के लगभग 1600 पदों की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है। प्रक्रिया के तहत जारी चयनित अभ्यर्थियों की सूची में बड़ी संख्या में ऐसे नाम शामिल हैं जो प्रथम दृष्टया ही फर्जी प्रतीत होते हैं। इस मामले में किसी बड़े संगठित गिरोह के शामिल होने का अंदेशा जताया जा रहा है। अनुबंध के आधार पर नर्सरी व प्राथमिक अध्यापकों की भर्ती के लिए जारी प्रक्रिया के दौरान बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। भर्ती के लिए अगस्त में मंगाए गए ऑनलाइन आवेदन के बाद 20 व 24 सितंबर को क्रमश: नर्सरी व प्राथमिक अध्यापकों के चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई। चयनित अभ्यर्थियों को 29 व 30 सितंबर को सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने को कहा गया था। दैनिक जागरण ने सूची की पड़ताल की तो कई ऐसे तथ्य सामने आए जिनमें आवेदक प्रथम दृष्टया ही फर्जी साबित हो जाता है। सूची में ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जिन्होंने एक नहीं कई-कई आवेदन किए हैं। मजे की बात यह है कि चयनित अभ्यर्थियों की सूची में एक ही नाम के सभी आवेदनों को शामिल कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त बड़ी तादात में ऐसे आवेदक भी हैं जिन्होंने हाईस्कूल से लेकर बीएड, बीएलएड, ईटीई, एनटीटी जैसे अर्हता परीक्षाएं पास कर ली हैं और उनका नाम भी चयनित लोगों की सूची में है। और तो और अर्हता परीक्षा में अधिकतम अंक 500, 600 व 950 की जगह 60, 70 व 50 दर्शाने वालों को सूची में टॉप पर रखा गया है। यह तो तब है जबकि भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई थी। एमसीडी शिक्षा समिति के चेयरमैन महेंद्र नागपाल ने बताया कि विभाग द्वारा की गई प्राथमिक जांच में राजेंद्र सिंह, विनय, बबिता देशवाल, योगेंद्र सिंह व जगदीश सैनी सहित पांच लोगों को फर्जीवाड़े का दोषी पाया गया है। इन लोगों के खिलाफ जल्द ही पुलिस में एफआइआर दर्ज करायी जाएगी।
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