राजीव दीक्षित, लखनऊ
केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मंशा अगर परवान चढ़ी तो निजी स्कूलों के लिए अपने यहां उपलब्ध संसाधनों-सुविधाओं व परीक्षाफलों के बारे में फर्जी और झूठे दावे करना प्रतिबंधित होगा। विद्यार्थियों को लुभाने के लिए निजी स्कूल मिथ्या प्रचार का सहारा नहीं ले सकेंगे। यदि उन्होंने ऐसा किया तो उनके खिलाफ विधिक कार्यवाही होगी। अनुचित तौर-तरीके अपनाकर पैसा ऐंठने वाले निजी स्कूलों की कारगुजारियों पर लगाम कसने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द प्रोहिबिशन ऑफ अनफेयर प्रैक्टिसेस इन स्कूल्स एंड इंटरमीटिएट कॉलेजेस बिल, 2011 संसद में लाने पर विचार कर रहा है। निजी स्कूलों के अनुचित कार्यकलापों पर अंकुश लगाने और उनके संचालन में पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला यह प्रस्तावित कानून स्व-घोषणा पर आधारित होगा। प्रस्तावित कानून के तहत स्कूलों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपने प्रॉस्पेक्टस और वेबसाइट पर स्कूल में उपलब्ध भौतिक, अकादमिक और मानव संसाधनों तथा शिक्षा की गुणवत्ता से संबंधित सभी सुविधाओं का ब्योरा दें। स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रमों की रूपरेखा और आवश्यक दिशानिर्देशों की जानकारी भी उन्हें प्रॉस्पेक्टस और वेबसाइट पर देनी होगी। स्कूलों के लिए अपने यहां उपलब्ध संसाधनों व सुविधाओं, परीक्षाफल, आदि के बारे में झूठे दावे करने और सच्चाई से इतर मिथ्या व भ्रामक प्रचार करने वाले विज्ञापन देना प्रतिबंधित होगा। प्रस्तावित कानून के तहत निजी प्रबंधतंत्र द्वारा संचालित स्कूल रसीद दिये बिना किसी किस्म की फीस/चार्ज नहीं वसूल सकेंगे। स्कूलों द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से डोनेशन या कैपिटेशन फीस लेने पर प्रतिबंध होगा। न ही दाखिले की इच्छा रखने वाले स्कूल प्रबंधन से कैपिटेशन फीस की पेशकश कर सकेंगे। प्रवेश लेने के बाद स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थी को उसके द्वारा जमा की गई फीस का एक निश्चित प्रतिशत वापस भी होगा। हाल के वर्षों में देश में स्कूली शिक्षा तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2009 में देश में 7.89 लाख प्राथमिक स्कूल, 3.36 लाख उच्च प्राथमिक स्कूल, 1.23 लाख हाईस्कूल और 0.60 लाख इंटरमीडिएट कॉलेज थे। देश के एक-तिहाई स्कूल निजी सहायताप्राप्त या असहायताप्राप्त की श्रेणी में आते हैं। देश में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से मान्यताप्राप्त 11,600 स्कूलों में 8,500 निजी प्रबंधतंत्र द्वारा संचालित हैं। सीबीएसई को आये दिन इन निजी स्कूलों के बारे में शिकायतें मिलती रहती हैं। मौजूदा नियम-कानून के तहत शिकायत मिलने पर सीबीएसई इन स्कूलों की मान्यता समाप्त कर सकता है लेकिन ऐसा करने पर नुकसान विद्यार्थियों का होता है। मान्यता समाप्त करने के मसले पर केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्रों में टकराव की गुंजायश भी रहती हैं क्योंकि निजी स्कूलों को अनापत्ति प्रमाणपत्र राज्य सरकार देती है। इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय निजी स्कूलों की इस बीमारी को दूर करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है। इस मुद्दे पर केंद्र और राज्यों के बीच सात जून को नई दिल्ली में होने वाली केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद की बैठक में चर्चा होगी।