Wednesday 20 April 2011

पढ़ाई का बोझ समाप्त करने के लिए शिक्षा निदेशालय ने बनाई योजना

कुंदन तिवारी
गुड़गांव। इस सत्र से स्कूली विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई बोझ नहीं रहेगी और न ही विद्यार्थियों को परीक्षा का डर सताएगा।
शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने कंटीन्यूअस कांप्रिहेंसिव इवेल्यूएशन (सीसीई) के तहत शिक्षा का नया प्रारूप तैयार किया है। इसके तहत अब सरकारी स्कूलों में भी हर सप्ताह यूनिट टेस्ट लिया जाएगा। इसको आधार मानकर विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाएगा और अगली कक्षा में दाखिला दिया जाएगा। पिछले दिनों शिक्षा निदेशक ने प्रदेश भर के शिक्षकों की बैठक में इस सत्र से स्कूली शिक्षा का पूरा प्रारूप बदले जाने की जानकारी दी थी। इसके तहत एक से 12वीं कक्षा के प्रत्येक विद्यार्थी का प्रत्येक सप्ताह के सोमवार को टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। यह टेस्ट सप्ताह भर पढ़ाए गए पाठ पर आधारित होंगे।
पूरे वर्ष सभी टेस्ट को आधार मानकर विद्यार्थियों का सतत मूल्यांकन किया जाएगा। इसके आधार पर विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। हरियाणा राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष व सेक्टर-31 स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक विनोद ठाकरान ने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रदेश में लागू होने के बाद पिछले सत्र में स्कूलों में मुखियाओं के सामने अगली कक्षा में विद्यार्थियों को दाखिला देने की दिक्कत आई थी। इसके बाद शिक्षा निदेशालय की ओर से इस योजना को तैयार किया गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) में विशेषज्ञ अशोक यादव ने बताया कि आरटीई के तहत स्कूलों में पढ़ाई न करने वाले विद्यार्थी को भी आसानी से अगली कक्षा में दाखिला प्राप्त हो रहा था। इससे शिक्षा की गुणवत्ता गिरने का खतरा बन गया था। इसको ध्यान में रखकर इस तरह के प्रारूप को तैयार किया गया है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि टेस्ट के अलावा 10वीं व 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं भी कराई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि पहले पहली से 12वीं कक्षा तक वार्षिक परीक्षा कराई जाती थी। 8वीं, 10 वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा होती थी। इसके अलावा प्रति माह यूनिट टेस्ट लिया जाता था। इसके अंक वार्षिक परीक्षा में भी जुड़ते थे।
 
12वीं कक्षा तक हर सोमवार को लिया जाएगा टेस्ट
 
सिर्फ 10वीं और 12वीं में सेमेस्टर परीक्षाएं भी होंगी
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