सारी डिग्रियों पर भारी 10 वीं
शकुंतला। उम्र 36 साल। बीए, एमए, बीएड, एमएड व पीएचडी की डिग्रियां ली। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की नेट, हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटैट) और राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (स्टैट) भी पास कर रखी है। इतना सबकुछ होने के बावजूद वह सरकार की ओर से निकाली गई गवर्नमेंट लेक्चरर की पोस्ट के लिए अप्लाई करने की पात्र नहीं है। कारण, उनके १०वीं में 39 फीसदी अंक हैं जबकि शिक्षा विभाग ने 'गुड एकेडमिक रिकार्ड' नामक शर्त में तीन लोअर परीक्षाओं (१०वीं, १२वीं व बीए) में से दो में कम से कम 50 फीसदी और एक में 45 फीसदी अंक होने अनिवार्य कर दिए हैं।
फतेहाबाद की शकुंतला अकेली नहीं हैं। प्रदेश में पात्रता परीक्षा पास करने वाले करीब सवा लाख अभ्यॢथयों में से सैकड़ों बेरोजगारों पर यह शर्त भारी पड़ रही है। सरकार को राज्य में जेबीटी के 9,870 और मास्टर वर्ग के 7,000 पद भरने हैं और इस शर्त के चलते ये युवा इसमें अप्लाई नहीं कर पा रहे।
अम्बाला कैंट के जगमोहन सिंह को ही लीजिए। डबल एमए व बीएड के अलावा जगमोहन ने जेबीटी, मास्टर व लेक्चरर के लिए भी पात्रता परीक्षा पास कर रखी है लेकिन १०वीं में 42 फीसदी अंक होने से वह अयोग्य करार दे दिए गए।
जगमोहन व शकुंतला कहते हैं, 'यह प्रदेश सरकार का अन्याय है। एक तो जिन लोगों ने ९० के दशक में १०वीं की थी, उस समय बोर्ड का रिजल्ट वैसे ही कम रहता था। दूसरा, जिस शख्स ने दसवीं में कम नंबर आने के बाद अच्छे अंकों के साथ इतनी डिग्रियां कर लीं, उन्हें १०वीं के नंबर के आधार पर अयोग्य ठहराना न्यायसंगत नहीं है। अगर सरकार को यह शर्त लगानी ही थी तो इसे दसवीं या पात्रता परीक्षा में से एक में लगाना था ताकि युवा या तो पात्रता परीक्षा देते या १०वीं में नंबर सुधारने पर ध्यान देते।
१०वीं, १२वीं, बीए में से दो में 50 और एक में 45 प्रतिशत अंक जरूरी
हाईकोर्ट में दायर शपथपत्र में शर्त का जिक्र नहीं
ट्रोल किया। गनीमत ये रही कि किसी सवारी को गंभीर चोट नहीं आई।
पात्र अध्यापक संघ के तर्क
पात्र अध्यापक संघ के अनुसार सरकार ने अक्टूबर 2008, जुलाई 2009, दिसंबर 2009 व नवंबर 2011 को एचटैट व स्टैट की परीक्षा ली। 2009 में लेक्चरर के 3,300 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की। तब योग्यता संबंधित विषय में एमए (50 फीसदी अंक) व पात्रता परीक्षा पास होना रखी गई थी। इसी आधार पर ज्यादातर पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई। तब सरकार ने गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त नहीं रखी। अब जून में सरकार ने 14,216 लेक्चरर पदों के लिए जो विज्ञापन दिया, उसमें गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त जोड़ दी गई।
'तिलकराज बनाम गवर्नमेंट केस' में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सरकार ने शपथपत्र दायर कर 31 दिसंबर 2011 तक शिक्षकों के सारे खाली पद भरने की बात कही थी। उसके बाद 'अरुण कुमार बनाम सरकार केस' में भी सरकार ने शपथ पत्र देकर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए 322 दिन का समय मांगा। 20 मार्च 2012 को हाईकोर्ट में केस फाइनल हुआ लेकिन दोनों बार शपथ पत्रों में यह शर्त जोड़े जाने का जिक्र नहीं था।
शकुंतला। उम्र 36 साल। बीए, एमए, बीएड, एमएड व पीएचडी की डिग्रियां ली। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की नेट, हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटैट) और राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (स्टैट) भी पास कर रखी है। इतना सबकुछ होने के बावजूद वह सरकार की ओर से निकाली गई गवर्नमेंट लेक्चरर की पोस्ट के लिए अप्लाई करने की पात्र नहीं है। कारण, उनके १०वीं में 39 फीसदी अंक हैं जबकि शिक्षा विभाग ने 'गुड एकेडमिक रिकार्ड' नामक शर्त में तीन लोअर परीक्षाओं (१०वीं, १२वीं व बीए) में से दो में कम से कम 50 फीसदी और एक में 45 फीसदी अंक होने अनिवार्य कर दिए हैं।
फतेहाबाद की शकुंतला अकेली नहीं हैं। प्रदेश में पात्रता परीक्षा पास करने वाले करीब सवा लाख अभ्यॢथयों में से सैकड़ों बेरोजगारों पर यह शर्त भारी पड़ रही है। सरकार को राज्य में जेबीटी के 9,870 और मास्टर वर्ग के 7,000 पद भरने हैं और इस शर्त के चलते ये युवा इसमें अप्लाई नहीं कर पा रहे।
अम्बाला कैंट के जगमोहन सिंह को ही लीजिए। डबल एमए व बीएड के अलावा जगमोहन ने जेबीटी, मास्टर व लेक्चरर के लिए भी पात्रता परीक्षा पास कर रखी है लेकिन १०वीं में 42 फीसदी अंक होने से वह अयोग्य करार दे दिए गए।
जगमोहन व शकुंतला कहते हैं, 'यह प्रदेश सरकार का अन्याय है। एक तो जिन लोगों ने ९० के दशक में १०वीं की थी, उस समय बोर्ड का रिजल्ट वैसे ही कम रहता था। दूसरा, जिस शख्स ने दसवीं में कम नंबर आने के बाद अच्छे अंकों के साथ इतनी डिग्रियां कर लीं, उन्हें १०वीं के नंबर के आधार पर अयोग्य ठहराना न्यायसंगत नहीं है। अगर सरकार को यह शर्त लगानी ही थी तो इसे दसवीं या पात्रता परीक्षा में से एक में लगाना था ताकि युवा या तो पात्रता परीक्षा देते या १०वीं में नंबर सुधारने पर ध्यान देते।
१०वीं, १२वीं, बीए में से दो में 50 और एक में 45 प्रतिशत अंक जरूरी
हाईकोर्ट में दायर शपथपत्र में शर्त का जिक्र नहीं
ट्रोल किया। गनीमत ये रही कि किसी सवारी को गंभीर चोट नहीं आई।
पात्र अध्यापक संघ के तर्क
पात्र अध्यापक संघ के अनुसार सरकार ने अक्टूबर 2008, जुलाई 2009, दिसंबर 2009 व नवंबर 2011 को एचटैट व स्टैट की परीक्षा ली। 2009 में लेक्चरर के 3,300 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की। तब योग्यता संबंधित विषय में एमए (50 फीसदी अंक) व पात्रता परीक्षा पास होना रखी गई थी। इसी आधार पर ज्यादातर पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई। तब सरकार ने गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त नहीं रखी। अब जून में सरकार ने 14,216 लेक्चरर पदों के लिए जो विज्ञापन दिया, उसमें गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त जोड़ दी गई।
'तिलकराज बनाम गवर्नमेंट केस' में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सरकार ने शपथपत्र दायर कर 31 दिसंबर 2011 तक शिक्षकों के सारे खाली पद भरने की बात कही थी। उसके बाद 'अरुण कुमार बनाम सरकार केस' में भी सरकार ने शपथ पत्र देकर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए 322 दिन का समय मांगा। 20 मार्च 2012 को हाईकोर्ट में केस फाइनल हुआ लेकिन दोनों बार शपथ पत्रों में यह शर्त जोड़े जाने का जिक्र नहीं था।