भिवानी :
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में वर्ष 2010 में रि-चेकिंग के दौरान फेल हुए छात्रों को पास करने का मामला तूल पकड़ गया है। इस मामले में हुई जांच में बरी हुए कर्मचारियों के खिलाफ शिक्षा बोर्ड की चेयरपर्सन ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाने के आदेश कर मामला गरमा दिया है। हालांकि शिक्षा बोर्ड के कर्मचारियों ने इस मामले का पूरा विरोध किया है और इस आदेश पर पुन: विचार करने की मांग की है। सूत्र बताते हैं कि शिक्षा बोर्ड द्वारा वर्ष 2010 में भिवानी जिले के चार परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की रि-चेकिंग की थी। जांच के बाद इन बच्चों को पास कर दिया गया। पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई गई जांच में कर्मचारियों को बरी कर दिया गया था। कुछ रोज पूर्व मामले की फाइल शिक्षा बोर्ड की चेयरपर्सन सुरीना राजन के पास गई तो उन्होंने फाइल पर आदेश दे दिए कि संबंधित चारों कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई जाए। कर्मचारियों ने किया विरोध : चेयरपर्सन के आदेश की सूचना बोर्ड कर्मचारियों को मिली तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। बोर्ड कर्मचारियों का कहना है कि कर्मचारियों को निर्दोष घोषित किया जा चुका है और ऐसे में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाना उचित नहीं है। यदि एफआईआर दर्ज करवाई भी जाती है तो इसमें छात्र भी दोषी हैं और उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो। इस बारे में शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुई है और वे कुछ भी जवाब नहीं दे रहे हैं। रि-चेकिंग से पहले बढ़ गये जवाब : इस पर मामले की छानबीन शुरू हुई तो उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन करने वाले शिक्षक ने जांच कर कहा कि उत्तर पुस्तिका में बाद में जोड़े गए सवालों पर उन्होंने अंक नहीं दिये थे, जो कि बाद में किए गए हैं। मामले की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराई गई तो उन्होंने रि-चेकिंग करने वाले चारों कर्मचारियों को निर्दोष घोषित कर दिया।