जयपुर
आरपीएसी की द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में माइक्रो ब्लूटूथ के जरिये नकल कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने बुधवार देर रात गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से माइक्रो ब्लूटूथ, मोबाइल और प्रिंटर बरामद किए हैं। दो बदमाश फरार हो गए। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी गणपत विश्नोई (30) सांचोर में रामपुरा, जालिम सिंह (28) रामनाथ पुरी, झोटवाड़ा और भजनलाल विश्नोई (22) जालौर का रहने वाला है। गिरोह का मुख्य सरगना जगदीश विश्नोई तथा भूपेन्द्र विश्नोई फरार हो गए। इन दोनों आरोपियों को एसओजी गत वर्ष फार्मेसी की परीक्षा में अभ्यर्थियों को नकल कराने के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है। उधर, जालौर में भी इसी तरीके से नकल कर रहे दो परीक्षार्थी पकड़े गए हैं।
नया मोबाइल, नई सिम
आरोपी इस एक दिन के लिए नया मोबाइल और नई सिम खरीदते हैं। परीक्षा के बाद मोबाइल और सिम को नष्ट कर देते। गिरफ्तार लोगों के पास से कई परीक्षार्थियों के मोबाइल नंबर, नाम और रोल नंबर मिले हैं।
प्रश्नों में खामियां भी थीं
प्रश्नपत्र में खामियों भरे प्रश्न भी थे, जैसे-
ठ्ठ चित्तौड़ के विजय स्तंभ और कीर्ति स्तंभ को एक ही बताया गया है। सही में, ये दोनों स्तंभ अलग-अलग हैं और दोनों के निर्माता भी अलग।
ठ्ठ राजस्थान किक्रेट एसोसिएशन को राजस्थान किक्रेट बोर्ड लिखा हुआ था।
राजस्थान के मुख्य सूचना आयुक्तसे जुड़े एक प्रश्न में एम.डी. कोरानी की जगह एम.डी. कोटानी छपा था।
ऐसे करवाते थे नकल
जिसे नकल करवानी होती है उसके कान में एक माइक्रो ब्लूटूथ लगा देते हैं। यह ब्लूटूथ चिमटी से कान में फिट करते हैं। इसके बाद अभ्यर्थी की कॉलर में एक ट्रांसमीटर लगाकर कॉलर की सिलाई कर देते हैं। मोबाइल को अभ्यर्थी अपने पास छिपाकर रखता है। बाहर से आरोपी अभ्यर्थी को फोन करते हैं, जिसे अभ्यर्थी ट्रांसमीटर के स्विच से ऑन कर लेते हैं। इससे माइक्रो ब्लूटूथ एक्टिव हो जाता है। नकल कराने वाले गिरोह के पास पेपर पहले से ही होता है। अभ्यर्थी को केवल प्रश्न पत्र का सीरीज नंबर बताना होता है। पुलिस का कहना है कि शुरुआत में ही कोई एक अभ्यर्थी पेपर का फोटो लेकर मोबाइल को बाहर फेंक देता हैं, जिसे गिरोह के सदस्य उठा लेते हैं।
नया मोबाइल, नई सिम
आरोपी इस एक दिन के लिए नया मोबाइल और नई सिम खरीदते हैं। परीक्षा के बाद मोबाइल और सिम को नष्ट कर देते। गिरफ्तार लोगों के पास से कई परीक्षार्थियों के मोबाइल नंबर, नाम और रोल नंबर मिले हैं।
प्रश्नों में खामियां भी थीं
प्रश्नपत्र में खामियों भरे प्रश्न भी थे, जैसे-
ठ्ठ चित्तौड़ के विजय स्तंभ और कीर्ति स्तंभ को एक ही बताया गया है। सही में, ये दोनों स्तंभ अलग-अलग हैं और दोनों के निर्माता भी अलग।
ठ्ठ राजस्थान किक्रेट एसोसिएशन को राजस्थान किक्रेट बोर्ड लिखा हुआ था।
राजस्थान के मुख्य सूचना आयुक्तसे जुड़े एक प्रश्न में एम.डी. कोरानी की जगह एम.डी. कोटानी छपा था।
ऐसे करवाते थे नकल
जिसे नकल करवानी होती है उसके कान में एक माइक्रो ब्लूटूथ लगा देते हैं। यह ब्लूटूथ चिमटी से कान में फिट करते हैं। इसके बाद अभ्यर्थी की कॉलर में एक ट्रांसमीटर लगाकर कॉलर की सिलाई कर देते हैं। मोबाइल को अभ्यर्थी अपने पास छिपाकर रखता है। बाहर से आरोपी अभ्यर्थी को फोन करते हैं, जिसे अभ्यर्थी ट्रांसमीटर के स्विच से ऑन कर लेते हैं। इससे माइक्रो ब्लूटूथ एक्टिव हो जाता है। नकल कराने वाले गिरोह के पास पेपर पहले से ही होता है। अभ्यर्थी को केवल प्रश्न पत्र का सीरीज नंबर बताना होता है। पुलिस का कहना है कि शुरुआत में ही कोई एक अभ्यर्थी पेपर का फोटो लेकर मोबाइल को बाहर फेंक देता हैं, जिसे गिरोह के सदस्य उठा लेते हैं।