Saturday, 10 December 2011

अतिथि प्रवक्ता को नहीं मिलता पूरे साल का वेतन

सिरसा, मुख्य संवाददाता : स्कूल और कॉलेज के अतिथि शिक्षकों को 12 महीने यानी 365 दिन का वेतन मिलता है लेकिन विश्वविद्यालय के अतिथि अध्यापक इतने खुशनसीब नहीं है। सीडीएलयू समेत अन्य विश्वविद्यालयों के अतिथि शिक्षकों को 12 महीने के बजाय सात-आठ माह का ही वेतन मिलता है। इसके विरोध में विवि शिक्षक अब लामबंद होने लगे हैं। इतना ही नहीं वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी भी कर रहे हैं। मसला प्रदेश के चार विश्वविद्यालयों के करीब तीन सौ अतिथि शिक्षकों से जुड़ा है। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में करीब 70 अतिथि शिक्षक टीचिंग एसोसिएट के तौर पर कार्यरत हैं। कुरुक्षेत्र विवि में सौ के करीब और गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी में 50 से ज्यादा अतिथि शिक्षक हैं। अगस्त महीने में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ इनकी सैलरी का मीटर चालू होता है। सत्र के ब्रेक के साथ ही उनकी सैलरी को भी ब्रेक लग जाता है। मसलन, आज से शुरू हुई प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा जनवरी महीने के मध्य तक चलेगी। इस डेढ़ महीने के दौरान विवि के अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो जाते हैं। अप्रैल महीने में शैक्षणिक सत्र की समाप्ति के साथ ही अतिथि शिक्षक फिर बेरोजगार हो जाते हैं। उन्हें अगस्त महीने तक बिना वेतन के रहना पड़ता है। नेट व पीएचडी डिग्री धारी को विवि 21 हजार 600 और एमफिल व नॉन नेट को 15 हजार मासिक वेतन देता है। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में भी कांट्रेक्ट के तहत कार्यरत शिक्षकों को साल में आठ-साढ़े आठ महीने वेतन मिलता है। सीडीएलयू में तैनात एक टीचिंग एसोसिएट ने बताया कि न तो हमें पूरे साल सैलरी मिलती है और न ही मेडिकल लीव। महिला लेक्चरर को मैटरनिटी लीव तक नहीं मिलती। जबकि, स्कूल और कॉलेज में इनका प्रावधान है। सुविधाओं की मांग के लिए विवि के गेस्ट लेक्चरर लामबंद होने लगे हैं। हाल में हुई बैठक में ज्यादातर लेक्चरर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के पक्ष में थे।
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