हाथ में कलम की जगह बेलन। पढ़ाई के समय रोते बच्चे को मनाना। चूल्हा चौका के साथ-साथ घर के दूसरे कार्य निपटाना। लेकिन अब महिलाओं ने बेलन के साथ-साथ कलम को भी अपना हथियार बना लिया है। तमाम सामाजिक व पारिवारिक चुनौतियों से दो दो हाथ करते हुए प्रदेश की नारी ने साबित कर दिया कि वे किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। अब घर आंगन की चौखट लांघकर महिलाओं ने शिक्षा की लौ जलाने की ठान ली है। एचटेट के परिणाम तो इसी बात की ओर इशारा कर रहे हैं। इन परिणामों पर गौर करें तो प्रदेश की महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा संख्या में पास हुई हैं। 2 लाख 64 हजार 661 महिलाओं ने हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा दी थी, जबकि 1 लाख 47 हजार 982 पुरुष इस परीक्षा में बैठे थे। 42 हजार 368 महिलाएं पास हो पाई, जबकि 28 हजार 749 पुरुष पास हो पाए हैं। निश्चित तौर पर प्रदेश की महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा रुचि दिखाई थी और आवेदन करने की संख्या भी महिलाओं की ज्यादा थी। लेकिन महिलाओं के हालात पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा विकट हैं, इस बात से शायद ही कोई इंकार कर सके।