Thursday, 17 November 2011

स्थानीय भाषा में दे सकेंगे मेडिकल प्रवेश परीक्षा

मुकेश केजरीवाल, नई दिल्ली देश भर के मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए छात्रों को जल्दी ही क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा देने की छूट मिल सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) में इस पर सहमति बन गई है। एमसीआइ अब इसे अगले सत्र से ही लागू करवाने की कोशिश में है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की सचिव संगीत शर्मा ने दैनिक जागरण को बताया कि कुछ राज्यों के अनुरोध पर यह कदम उठाया जा रहा है। एमसीआइ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पत्र लिखकर पूछने जा रहा है कि क्या इसे अगले ही सत्र से लागू करना उसके लिए संभव होगा। एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए पहली बार यह साझा प्रवेश परीक्षा अगले साल से आयोजित की जानी है। राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) आयोजित करने की जिम्मेदारी सीबीएसई को ही दी गई है। 13 मई को यह परीक्षा आयोजित की जाएगी। एमसीआइ ने इस परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम सार्वजनिक भी कर दिया है। शुरुआत में इसे हिंदी और अंग्रेजी में ही करवाने का फैसला किया गया था। मगर कुछ राज्य सरकारें इसे क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित करने की मांग कर रही हैं। बंगाल, गुजरात और कर्नाटक, आंध्र पहले ही अपना विरोध दर्ज करवा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी यह परीक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में करवाने को सैद्धांतिक तौर पर सहमति दे दी है। आंध्र में छात्रों की ओर से इस मामले पर हुए उग्र आंदोलन के बाद वहां से एक प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की थी। सीबीएसई के एक अधिकारी के मुताबिक क्षेत्रीय भाषाओं में यह परीक्षा आयोजित करवाने में वह पूरी तरह सक्षम है। लेकिन जितनी अधिक भाषाओं में प्रश्नपत्र तैयार होते हैं, उतना ही लीक होने की आशंका रहती है। इसलिए कोशिश की जाती है कि कम से कम भाषाओं में इसे आयोजित किया जाए। लेकिन भाषा के संबंध में फैसला एमसीआइ को ही करना है।
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